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पिता के ‘कलेजे का टुकड़ा’ उसे देना चाहता है अपने ‘कलेजे का टुकड़ा’ क्या करेगा SC?

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नई दिल्ली। मामला बहुत हृदयस्पर्शी  है। जो बच्चा कभी अपने पिता के कलेजे का टुकड़ा था, आज वही पिता को अपने कलेजे का टुकड़ा दान करना चाहता है, ताकि मरते हुए बाप को जीवन प्रदान कर सके लेकिन कानून इसकी इजाजत नहीं देता। इसलिए मामला देश की सबसे बड़ी अदालत के सामने पहुँच गया।

दरअसल, एक नाबालिग बच्चा (17 वर्षीय) गंभीर रूप से बीमार पिता को अपना लीवर दान करना चाहता है जिसके रास्ते में मौजूदा कानून इसके आड़े आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले पर सुनवाई होनी है।

सवाल है कि क्या न्यायालय किसी नाबालिग बच्चे को अंगदान करने की इजाजत दे सकता है? बच्चे के वकील का दावा है कि लीवर दान करने से पिता की जान बचाई जा सकती है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर याचिका पर शुक्रवार को उप्र सरकार से जवाब मांगा। चीफ जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह मामला आया, जिसने उसकी अत्यधिक जरूरत पर विचार करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। नाबालिग के वकील ने बेंच से कहा कि उनके पिता गंभीर स्थिति में हैं और उनकी जान अंगदान करके ही बच सकती है।

मामले की सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस एस आर भट और जस्टिस पी एस नरसिंह भी शामिल हैं। उन्होंने अपने पिछले आदेश में कहा, ‘याचिकाकर्ता (बेटा) अपने गंभीर रूप से बीमार पिता को यकृत दान करना चाह रहा है। हालांकि, इस मुद्दे से जुड़े कानून के तहत अंगदाता बालिग होना चाहिए।’ इसके बाद अदालत ने कहा कि 12 सितंबर तक नोटिस का जवाब दिया जाए।

क्या कहता है कानून?

मालूम हो कि मौजूदा भारतीय कानूनों में नाबालिग को मौत से पहले अंगदान करने की इजाजत नहीं दी गई है। सरकार के ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशू रूल 2014 के अनुसार, नाबालिग को जीवित अंग या ऊतक को दान करने की मनाही है।

हालांकि, इसमें यह भी प्रावधान है कि उचित कारण बताए जाने पर अंगदान किया जा सकता है। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने भी ठीक ऐसा ही मामला आया था। एक 16 वर्षीय लड़की ने बीमार पिता को अपने लीवर का एक हिस्सा दान की अपील की थी।

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दिल्ली में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने शुरू किया अभियान, 175 संदिग्ध लोगों की पहचान

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नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने अभियान शुरू कर दिया है। अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों खिलाफ अपने सत्यापन अभियान दिल्ली पुलिस ने ऐसे 175 संदिग्ध लोगों की पहचान की है। अधिकारियों ने रविवार को इस बात की जानकारी दी है। पुलिस ने शनिवार को शाम 6 बजे से बाहरी दिल्ली क्षेत्र में 12 घंटे का सत्यापन अभियान चलाया था।

दिल्ली पुलिस ने क्या बताया?

इस अभियान को लेकर दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा- “पुलिस ने वैध दस्तावेजों के बिना रहने वाले व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें हिरासत में लेने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। बाहरी दिल्ली में व्यापक सत्यापन अभियान के दौरान 175 व्यक्तियों की पहचान संदिग्ध अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के रूप में की गई है।

एलजी के आदेश पर कार्रवाई

दिल्ली पुलिस ने बीते 11 दिसंबर की तारीख से राजधानी में रह रहे अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को पहचानने के लिए अभियान की शुरुआत की थी। इससे एक दिन पहले 10 दिसंबर को एलजी वीके सक्सेना के सचिवालय ने अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई का आदेश जारी किया था। इसके बाद से ही पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को पकड़ने का अभियान शुरू किया है।

इस तरीके से चल रहे अभियान

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों की बढ़ती संख्या से चिंता बढ़ती जा रही है। बाहरी जिला पुलिस ने अपने अधिकार में आने वाले विभिन्न क्षेत्रों में कार्रवाई शुरू की है। पुलिस के मुताबिक, स्थानीय थानों, जिला विदेशी प्रकोष्ठों और विशेष इकाइयों के कर्मियों समेत विशेष टीम को घर-घर जाकर जांच करने और संदिग्ध अवैध प्रवासियों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने का निर्देश दिया गया है।

 

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