Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

बिहार: पटना सिटी में वर्चस्व की जंग, 10 राउंड फायरिंग; एक की मौत

Published

on

death

Loading

पटना। बिहार की राजधानी पटना सिटी के आलमगंज थाना क्षेत्र के बड़ी पटन देवी रोड में मंगलवार की देर रात दो गुटों के बीच आपसी वर्चस्व और शराब बिक्री को लेकर जमकर गोलीबारी हुई। इस गोलीबारी में एक वृद्ध की गोली लगने से मौत हो गई जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए।

इनका इलाज पटना के दो बड़े सरकारी अस्पताल में चल रहा है। सूचना मिलते ही आलमगंज थाने की पुलिस के साथ पटना सिटी पुलिस अनुमंडल पदाधिकारी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे और पूरे मामले की छानबीन शुरू कर दी है।

CCTV की मदद से अपराधियों की तलाश

घटना की पुष्टि करते हुए पटना सिटी के पुलिस अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि दो गुटों के बीच गोलीबारी की सूचना मिली है। जिसमें एक 70 वर्ष के वृद्धि की मौत हो गई है, जबकि दो लोग घायल हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस पूरे मामले की गहराई से छानबीन कर रही है। मामले में जो भी लोग दोषी पाए जाएंगे उन पर पुलिस कार्रवाई करेगी। इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहा मामले में आगे की कार्रवाई चल रही है।

दोनों ओर जमकर हुई गोलीबारी

स्थानीय लोगों का कहना है कि मंगलवार की देर रात आलमगंज थाना के बड़ी पटन देवी मंदिर रोड में दो गुट अमन कुमार एवं अतुल कुमार आपस में भिड़ गए। दोनों ओर जमकर गोलीबारी हुई। दोनों गुटों के बीच लगभग 8 से 10 राउंड गोलियां चली।

इस गोलीबारी में मोहल्ले के शिवनाथ शर्मा (70) को गोली लगी और वह घायल हो गये। अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। वही इस गोलीबारी में घायल अमन कुमार को पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है जबकि घायल अतुल कुमार को पटना के पीएमसीएच में इलाज चल रहा है।

गोलीबारी की सूचना मिलते ही पूरे मोहल्ले में अफरातफरी मच गई। इसी बीच कुछ लोगों ने इसकी सूचना आलमगंज थाने को दे दी। लोगों का कहना है कि एक गुट का कुछ दिन पूर्व एक गुट का युवक जेल से छुटकारा आया था। पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले और मामले की जांच करे।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

Published

on

Loading

महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

Continue Reading

Trending