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प्रादेशिक

कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद बार्ड बॉय की मौत, परिजनों का आरोप- टीके के बाद बिगड़ी हालत

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मुरादाबाद। यूपी के मुरादाबाद जिले में कोरोना का टीका लगवाने वाले एक वार्ड ब्वाय की रविवार को मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि टीका लगने के बाद से महिपाल की हालत बिगड़ी और रविवार शाम उनकी मौत हो गई।

वहीँ, वार्ड ब्वॉय के घर पहुंचे सीएमओ ने कहा कि टीके के रिएक्शन से मौत संभव नहीं है। उन्हें सांस फूलने और सीने में दर्द की शिकायत पर अस्पताल लाया गया था। मौत के कारण की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से होगी। हालांकि उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक वार्ड बॉय की मौत का कारण हो सकता है।

मृतक महिपाल सिंह जिला अस्पताल में वार्ड ब्वाय के पद पर थे। उनकी ड्यूटी सर्जिकल वार्ड में थी। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। महिपाल के बेटे विशाल ने रविवार रात में मीडिया को बताया, ‘सुबह ड्यूटी से आने के बाद अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई थी। मुझे किसी काम से जाना था तो मैं चला गया, शाम को फोन आया कि तबीयत ज्यादा खराब है आ जाइए। 108 पर घरवालों ने फोन किया पर वे समय पर नहीं आए। शनिवार को वैक्सीनेशन के बाद ही उनकी सांस फूल रही थी।

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में बाघ का आतंक : वन विभाग ने पकड़ने के लिए किए तरह – तरह के उपाय, नहीं आ रहा है हाथ

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लखनऊ। रहमानखेड़ा केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ ने एक और पड़वे (भैंस के बच्चे) का शिकार किया है। यह बाघ का 15वां शिकार है। बाघ ने वन विभाग को एक बार फिर चकमा देते हुए जंगल में उसी जगह शिकार किया जहां उसको फंसाने के लिए गड्ढा खोदा गया है। जंगल के जोन एक के बेल वाले ब्लॉक में वन विभाग ने 15 फीट गहरा गड्ढा खोद झाड़ियों से ढक दिया है ताकि बाघ शिकार करने का प्रयास करें तो गहरे गड्ढे में गिर जाए।

फिर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। यहीं एक पिंजरा भी लगाया गया है जिसमें पड़वे को बांधा गया था। हालांकि वन विभाग की सारी तरकीबें धरी रह गई हैं। मंगलवार भोर में बाघ ने पड़वा को अपना निवाला बनाया। न वो पिंजरे में फंसा न गड्ढे में गिरा। सुबह जानकारी पर जांच करने पहुंची टीम को पड़वे का क्षतविक्षत शव मिला। मौके से बाघ के पगचिह्न भी मिले।

विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ 24 घंटे के अंदर अपने शिकार का बचा हुआ मांस खाने के लिए दोबारा आ सकता है। वन विभाग की टीम ने बाघ की तलाश में मीठेनगर, उलरापुर और दुगौली के आसपास मौजूद जंगल में डायना और सुलोचना हथिनियों से कॉम्बिंग की लेकिन उसका पता नहीं लगा। शिकार की जानकारी पर अपर मुख्य वन संरक्षक रेणू सिंह ने टीम लीडर आकाशदीप बधावन व डीएफओ सितांशु पांडेय के साथ शिकार स्थल का जायजा लिया। यहां सक्रिय टीम को मृत पड़वे के पास निगरानी करने का निर्देश दिए।

तीन दर्जन से अधिक वाहनों की आवाजाही नो- गो- जोन में कर रही शोर गुल

वन विभाग ने रहमान खेड़ा में नो-गो जोन घोषित किया है। इसके बावजूद वन विभाग के ही 30 से ज्यादा वाहनों की हलचल यहां हर दिन रहती है। मंगलवार को दोपहर में अधिकारियों समेत वन विभाग टीम के करीब दो दर्जन चार पहिया वाहन कमांड ऑफिस के आस-पास खड़े थे। संस्थान के कर्मियों के वाहन व बसों की आवाजाही भी यहां रहती है। मचान व पिंजरों के पास भी वाहनों के साथ अधिकारी आ जा रहे हैं। इसी के चलते बाघ पकड़ में नहीं आ पा रहा है।

 

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