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प्रादेशिक

योगी सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, इस विदेशी कंपनी ने 5500 करोड़ का किया इंवेस्टमेंट

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के विकास के लिए बड़ा कदम उठाया है। इस बार यूपी सरकार ने स्वीडन (Sweden) की फर्निशिंग कंपनी आईकिया (IKEA) के साथ बड़ा अनुबंध किया है। लखनऊ में शुक्रवार को सीएम आवास पर नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी और आईकिया के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद अब स्वीडन कंपनी नोएडा में करीब 5000 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट करेगी।

लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पर नोएडा अथॉरिटी तथा आईकिया के बीच विनिमय समारोह आयोजित किया गया। कंपनी ने सेक्टर 51 में लगभग 12 एकड़ जमीन ली है। विकास और निर्माण कार्य कुछ ही हफ्तों में शुरू हो जाएगा।

इस अवसर पर सीएम योगी ने कहा कि आज  नोएडा अथॉरिटी व आईकिया के बीच भूमि हस्तांतरण एवं लीज डीड विनिमय समारोह के अवसर पर मैं दोनों संस्थाओं को हृदय से बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। मुझे प्रसन्नता है कि आईकिया देश के सबसे महत्वपूर्ण स्थल नोएडा में निवेश को मूर्त रूप देने जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमने उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ की आबादी को कोविड-19 के संक्रमण से बचाने में और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को और भी मजबूत करने में सफलता अर्जित की।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मैं आईकिया से जुड़े अधिकारियों को एक बार फिर से आश्वस्त करता हूं कि यह निवेश आपके लिए एक सुनहरा अवसर होगा। यह ऐसे क्षेत्र में हो रहा है जहां एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट, जेवर इंटरनेशनल ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की कार्यवाही आगे बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि आईकिया, जन सामान्य के लिए न केवल शॉपिंग मॉल, ऑफिस, होटल, रिटेल आउटलेट आदि के निर्माण की कार्यवाही समय सीमा में करेगी बल्कि आने वाले समय में प्रदेश के अन्य शहरों में भी निवेश की संभावनाओं को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देगी। मुझे प्रसन्नता है कि लगभग 5,500 करोड़ के निवेश के साथ लगभग 850 करोड़ की लागत से भूमि स्थानान्तरण से संबंधित कार्यवाही प्रदेश में डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट रोजगार की संभावनाओं को भी बढ़ाएगी।

उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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