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प्रादेशिक

संक्रमण कम होने के बावजूद यूपी में कम नहीं की जा रही टेस्टिंगः अमित मोहन प्रसाद

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लखनऊ। अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार प्रदेश में बड़ी संख्या में संक्रमण कम होने के बावजूद, टेस्टिंग कम नहीं की जा रही है। गत एक दिन में कुल 2,40,020 सैम्पल की जांच की गयी है। अब तक कुल 6,06,17,011 सैम्पल की जांच की गई है। जनपदों से आरटीपीसीआर जांच के लिए 1,27,166 सैम्पल भेजे गये हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 125 नये मामले आये हैं। प्रदेश में विगत 24 घंटे में 134 लोग तथा अब तक 16,83,058 लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना के कुल 1594 एक्टिव मामले हैं, जिनमें से 1222 लोग होम आइसोलेशन में हैं। प्रदेश में रिकवरी रेट 98.6 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि सर्विलांस की कार्यवाही निरन्तर चल रही है। प्रदेश में अब तक सर्विलांस टीम के माध्यम से 3,58,57,016 घरों के 17,23,68,862 जनसंख्या का सर्वेक्षण किया गया है।

प्रसाद ने बताया कि कोविड वैक्सीनेशन का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। प्रदेश में 3,13,68,938 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज तथा 57,97,454 लोगों को दूसरी डोज दी जा चुकी है। अब तक प्रदेश में कुल 3,71,66,392 डोजें लगायी गयी हैं, जो देश में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोविड संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए कोविड प्रोटोकाल का भी पालन करे। सभी लोग अपना टीकाकरण की दोनों डोज अवश्य लें।

प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा आज विश्व जनसंख्या दिवस पर उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-30 का अनावरण किया गया। इस नीति के पांच महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं, जिनमें जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य प्राप्त किया जाना, निवारण योग्य मातृ मृत्यु और बीमारियों की समाप्ति, नवजात और पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की निवारण योग्य मृत्यु को समाप्त करना और उनकी पोषण स्थिति में सुधार करना, किशोर-किशोरियों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित सूचनाओं और सेवाओं में सुधार तथा वृद्धों की देखभाल और कल्याण में सुधार करना है। इस नीति के माध्यम से वर्ष 2026 तक सकल प्रजनन दर 2.1 प्रतिशत तथा वर्ष 2030 तक सकल प्रजनन दर 1.9 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-30 एक समावेशी नीति है, जिसमें सभी आयु/वर्गों का ध्यान रखा गया है।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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