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अन्तर्राष्ट्रीय

कनाडा: खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या, NIA ने घोषित किया था भगोड़ा

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Canada Khalistani Terrorist Hardeep Singh murder

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चंडीगढ़। कनाडा में रह रहे खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की एक गुरुद्वारे में गोली मारकर हत्या कर दी गई है। ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के पंजाबी बहुल सरे शहर में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे में उसे गोली मारी गई। वो इस गुरु नानक सिख गुरुद्वारे का अध्यक्ष था।

निज्जर अलगाववादी संगठन, सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का एक एक्टिव मेंबर था जिसको लेकर भारत भी अलर्ट मोड में था। उसने ब्रैम्पटन शहर में खालिस्तान जनमत संग्रह के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पहले निज्जर के खिलाफ कथित रूप से आतंकी हमलों की साजिश रचने के आरोप में आरोप पत्र दायर किया था। भारत ने कनाडा के अधिकारियों से पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए निज्जर के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था।

NIA ने 10 लाख का रखा था इनाम

भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बीते साल जुलाई में निज्जर पर 10 लाख का इनाम रखा था। निज्जर पर पंजाब के जालंधर में एक हिंदू पुजारी की हत्या करने का आरोप था। पुजारी की हत्या की साजिश खालिस्तान टाइगर फोर्स ने रची थी, जिसका निज्जर प्रमुख था।

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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