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अन्तर्राष्ट्रीय

बलूचिस्तान में चीनी कामगारों पर हमला, 13 की मौत; BLA ने ली जिम्मेदारी

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Chinese workers attacked in Balochistan

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक हमले में चार चीनी नागरिक समेत 13 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में पाकिस्तानी सेना के नौ सैनिक भी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के आत्मघाती दस्ते माजिद ब्रिगेड ने ग्वादर में चीनी कामगारों पर आज के हमले की जिम्मेदारी ली है। बीएलए का कहना है कि उसके दो मजीद ब्रिगेड ‘फिदायीन’ ने हमले में हिस्सा लिया।

सुरक्षा बलों ने जारी की हमलावरों की तस्वीरें

पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने दो कथित हमलावरों की तस्वीरें जारी की हैं। अस्पताल और स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, आज के हमले में अब तक कई लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं।

ग्वादर में सड़कों को किया गया बंद

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बंदरगाह शहर ग्वादर में विस्फोटों और गोलियों की आवाज सुनी जा सकती हैं। यहां की सभी सड़कों को यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। चीनी इंजीनियरों के काफिले पर सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुआ। सरकारी अधिकारियों ने भी ग्वादर में चीनी इंजीनियरों पर हमले की पुष्टि की है। एक मीडिया विज्ञप्ति के अनुसार, चीनी इंजीनियरों पर फकीर कॉलोनी ग्वादर के पास हमला हुआ।

बंदरगार को चारों ओर से घेरा गया

चीनी इंजीनियरों के काफिले पर हमले के बाद ग्वादर में धमाकों का सिलसिला जारी है। बंदरगाह को चारों ओर से घेर लिया गया है। सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं। पाकिस्तान में चीनी वाणिज्य दूतावासों ने बलूचिस्तान और सिंध में अपने नागरिकों को अगले आदेश तक अपने घरों के अंदर ही रहने के आदेश जारी किए हैं। यह बयान तब आया है, जब ग्वादर में चीनी इंजीनियरों पर हमला हो रहा है।

 

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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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