उत्तर प्रदेश
CM Yogi बने संकट के सारथी, गरीबों और जरूरतमंदों के लिए खोला खजाना
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) गरीबों, जरूरतमंदों, बीमार, असहाय और लाचारों के संकट के साथी बने हैं। उन्होंने समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को आर्थिक मदद करने के लिए सरकार का खजाना खोल दिया है। पिछले साढ़े पांच वर्षों में एक लाख से अधिक लोगों को 17 अरब रुपए देने वाले पहले सीएम, योगी बने हैं। जबकि सपा सरकार में मात्र 10 हजार 431 लोगों को चार अरब 47 करोड़ 84 लाख 94 हजार 948 रुपए की मदद की गई थी।
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सीएम योगी ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से वित्तीय वर्ष 2017-18 में 13093 लोगों को एक अरब 71 करोड़ 35 लाख 82 हजार रुपए, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 17 हजार 650 लोगों को दो अरब 44 करोड़ 94 लाख 49 हजार 400 रुपए, वित्तीय वर्ष 2019-20 में 17 हजार 940 लोगों को दो अरब 74 करोड़ 17 लाख 19 हजार 500 रुपए
और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 15,190 लोगों को दो अरब 66 करोड़ 82 लाख 35 हजार 286 रुपए दिए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 22176 लोगों को तीन अरब 90 करोड़ 52 लाख 50 हजार 365 रुपए और वित्तीय वर्ष 2022-23 में 31 अक्तूबर तक 18597 लोगों को तीन अरब 32 करोड़ 90 लाख 25 हजार 359 रुपए दिए हैं। ऐसे में कुल साढ़े पांच वर्षों में 104646 लोगों को 16 अरब 80 करोड़ 72 लाख 61 हजार 910 रुपए दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री के विशेष सचिव प्रथमेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार जरूरतमंद और गरीब पात्रों की मदद की जा रही है। इसमें किडनी प्रत्यारोपण, कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों में धनराशि तय समय में दी जाती है। इस पूरी व्यवस्था को अब और पारदर्शी बनाते हुए आनलाइन कर दिया गया है।
परिवारों की जमीन और गहने भी बिकने के कगार पर थे
सीएम योगी ने इससे पहले कोरोना काल में भी लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए गांव-गांव और घर-घर भ्रमण किया था। इसके अलावा जिले स्तर पर सेवाओं और सुविधाओं को लेकर बैठक भी की थी। सीएम योगी शुरू से ही गरीबों, मजलूमों, असहायों और गंभीर रोगियों की मदद में आगे रहे हैं।
सांसद रहते हुए भी उनके द्वार हमेशा आम लोगों के लिए खुले रहते थे। सूबे में सत्ता में आने के बाद सीएम योगी ने प्रदेश में अब तक सबसे ज्यादा ऐसे लोगों की मदद की है, जिन्होंने पैसे के अभाव में अपनों के जीवन की आस छोड़ दी थी। सीएम योगी की मदद से ऐसे हजारों लोगों की न सिर्फ जान बची है, बल्कि उनके परिवारों की जमीन और गहने भी बिकने के कगार पर थे।
अखिलेश सरकार के पांच साल
सपा सरकार के दौरान 2012 से लेकर 2017 तक मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से वित्तीय वर्ष 2012-13 में 3362 लोगों को 31 करोड़ 37 लाख नौ हजार 500 रुपए, वित्तीय वर्ष 2013-14 में 4361 लोगों को 31 करोड़ 37 लाख नौ हजार 500 रुपए, वित्तीय वर्ष 2014-15 में 5284 लोगों को 44 करोड़ 98 लाख 80 हजार 750 रुपए, वित्तीय वर्ष 2015-16 में 7762 लोगों को 98 करोड़ 34 लाख 42 हजार 747 और वित्तीय वर्ष 2016-17 में 10431 लोगों को एक अरब 64 करोड़ 94 लाख 17 हजार 732 रुपए की मदद दी गई थी।
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उत्तर प्रदेश
महाकुंभ नगर के सेक्टर-2 स्थित मीडिया सेंटर के पास सोमवार को यूपी के पहले डबल डेकर बस रेस्तरां पंपकिन का उद्घाटन
महाकुम्भ नगर। यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन जारी है। ऐसे में महाकुंभ नगर के सेक्टर-2 स्थित मीडिया सेंटर के पास सोमवार को यूपी के पहले डबल डेकर बस रेस्तरां पंपकिन का उद्घाटन किया गया है। इस मौके पर बस रेस्तरां के संस्थापक का बयान भी सामने आया है। बस फूड कोर्ट के संस्थापक मनवीर गोदरा ने बताया है कि इसके ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर रेस्टोरेंट है, जहां एक साथ 25 लोग बैठकर शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन का आनंद ले सकते हैं।
उन्होंने बताया कि पंपकिन ब्रांड की लॉन्चिंग महाकुंभ मेले से की जा रही है और आने वाले समय में काशी, मथुरा, अयोध्या आदि धार्मिक स्थलों पर यह रेस्तरां शुरू किया जाएगा। इस रेस्तरां में भोजन की दर किफायती रखी गई है और यहां विशेष अवसर पर उपवास का खाना भी मिलेगा। बस के अंदर एवं बाहर लगी एलईडी स्क्रीन पर महाकुंभ से संबंधित फिल्मों का भी प्रदर्शन होगा।
महाकुंभ भारतीय संस्कृति का अद्वितीय पर्व
कुंभ मेला, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अद्वितीय पर्व है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है। यह पर्व विशेष रूप से प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध है, जहां हर बारह साल में विशेष ज्योतिषीय संयोगों के आधार पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं। यात्री ह्वेन त्सांग ने प्रयागराज के महाकुंभ का वर्णन किया, जो उस समय के धार्मिक आयोजन और सम्राट की दानशीलता को प्रदर्शित करता है। कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय समाज के सामूहिक आस्था, संघर्ष और एकता की अभिव्यक्ति भी है, जो हर बार इस अद्वितीय पर्व के माध्यम से दोबारा जीवित होती है।
महाकुंभ भारतीय संस्कृति का अद्वितीय पर्व
कुंभ मेला, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अद्वितीय पर्व है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है। यह पर्व विशेष रूप से प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध है, जहां हर बारह साल में विशेष ज्योतिषीय संयोगों के आधार पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं। यात्री ह्वेन त्सांग ने प्रयागराज के महाकुंभ का वर्णन किया, जो उस समय के धार्मिक आयोजन और सम्राट की दानशीलता को प्रदर्शित करता है। कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय समाज के सामूहिक आस्था, संघर्ष और एकता की अभिव्यक्ति भी है, जो हर बार इस अद्वितीय पर्व के माध्यम से दोबारा जीवित होती है।
महाकुंभ में नागा साधुओं की पेशवाई एक प्रमुख आकर्षण होती है, जो न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि भारतीय वीरता और संघर्ष का प्रतीक है। इन साधुओं ने ऐतिहासिक रूप से सनातन धर्म की रक्षा के लिए कई आक्रमणों का सामना किया, जिनमें 17वीं शताब्दी का अफगान आक्रमण प्रमुख था।
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