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प्रादेशिक

सैनिक स्कूल की 60वीं वर्षगांठ पर सीएम योगी ने कही ये बात

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लखनऊ। कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय उ.प्र. सैनिक स्कूल, लखनऊ के हीरक जयन्ती वर्ष के समापन समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शनिवार को शिरकत की। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी वहां मौजूद रहे। समारोह में सीएम योगी ने कहा कि केवल रक्षा सेनाओं के लिए ही नहीं बल्कि हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए भी सैनिक स्कूल देश की आवश्यकता हैं।

हमारी सरकार ने यह परिकल्पना देने वालों को समाज के सामने प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दक्ष और अनुशासित नागरिक हम देश को दे सकें, इस परिकल्पना को वर्ष 1960 में डॉ. संपूर्णानंद जी ने उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल के माध्यम से साकार किया था।

उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश का यह सैनिक स्कूल अपनी क्षमता को दोगुना करने वाला देश का पहला सैनिक स्कूल है। यह वर्ष 2018 में बालिकाओं के प्रवेश को अनिवार्य करने वाला भी प्रथम सैनिक स्कूल है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आभारी हूं कि देश के समस्त सैनिक स्कूलों में बालिकाओं के प्रवेश को अनिवार्य कर दिया गया है। यह महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक नए युग के सूत्रपात का शुभारंभ है।

मा. राष्ट्रपति जी की सदैव मंशा रही है कि पुरातन छात्रों को जोड़कर हम वर्तमान पीढ़ी के लिए कुछ नए आदर्शों, मूल्यों और मर्यादाओं की स्थापना करें, जिससे वे भावी पीढ़ी को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करने में अपना योगदान दे सकें।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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