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उत्तर प्रदेश

हमास को लेकर CM योगी का सख्त आदेश, भारत सरकार के विचारों के विपरीत जानें पर होगी कार्रवाई

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CM Yogi strict

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस्राइल-हमास युद्ध पर भारत सरकार के विचारों के विपरीत जाने को लेकर सख्त नाराजगी जताई है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कानून-व्यवस्था की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने इस्राइल-फलस्तीन विवाद के मद्देनजर कहा कि सभी पुलिस कप्तान अपने क्षेत्र में धर्मगुरुओं से तत्काल संवाद करें।

उन्होंने कहा इस प्रकरण में भारत सरकार के विचारों के विपरीत किसी तरह की गतिविधि स्वीकार नहीं की जाएगी। सोशल मीडिया हो अथवा धर्मस्थल, कहीं से भी किसी भी प्रकार का उन्मादी बयान आदि जारी न हो। यदि किसी के द्वारा ऐसा करने का कुत्सित प्रयास हो तो तत्परता के साथ कार्रवाई की जाए।

मुख्यमंत्री कल गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आगामी त्योहारों के मद्देनजर की गयी तैयारियों और कानून-व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे।

इस दौरान CM ने कहा कि नामांतरण, वरासत, पारिवारिक बंटवारे, पैमाइश के मामलों के निस्तारण में लापरवाही पर कमिश्नर और डीएम जिम्मेदार माने जाएंगे। इसमें लेटलतीफी पर कड़ी नाराजगी जताने के साथ तहसीलवार प्रदर्शन की रिपोर्ट जारी करते हुए उन्होंने कहा कि ”तारीख पर तारीख” की प्रवृत्ति कतई स्वीकार नहीं की जाएगी। लेखपाल, राजस्व निरीक्षक आदि पर कार्रवाई होगी तो मंडलायुक्त और डीएम भी जवाबदेह होंगे।

बरेली में छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने शोहदों पर सख्ती से लगाम कसने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने शारदीय नवरात्रि में प्रमुख देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को लेकर हुई तैयारियों का गहनता से जायजा लिया।

कहा कि शारदीय नवरात्रि पर मिशन शक्ति अभियान के चौथे चरण की शुरुआत होने जा रही है, जिसे सफल बनाने की जिम्मेदारी आप सभी की है। आगामी एक माह त्योहारों के दृष्टिगत खासा संवेदनशील है।

बीट सिपाही से लेकर हल्का इंचार्ज और पुलिस कप्तान सहित हर अधिकारी सड़क पर उतरे। कुछ अराजक तत्व माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। पुलिस को अलर्ट रहना होगा। त्योहार में अश्लील गीतों और कानफोड़ू डीजे संगीत से भी समस्या होती है। इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

सिफारिश पर नहीं दें तैनाती

उन्होंने समस्त डीएम और पुलिस कप्तानों से कहा कि हर एक तैनाती मेरिट के आधार पर ही होनी चाहिए। यदि कहीं भी सिफारिश अथवा किसी के दबाव में किसी की फील्ड पोस्टिंग की गई है तो उसको गंभीरता से लिया जाएगा।

IGRS में प्रदर्शन की रिपोर्ट जारी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारी जनता के लिए तैनात हैं, जनता से मिलना और उनकी समस्याओं का निस्तारण शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए। फील्ड में तैनात जो अधिकारी-कर्मचारी ऐसा कर पाने में सक्षम न हो उसे तत्काल फील्ड की तैनाती छोड़ देनी चाहिए।

अच्छा और खराब प्रदर्शन करने वाली तहसीलें

टॉप-10 तहसील

अलीगढ़ की कोल, कुशीनगर की तमकुहीराज व पडरौना, प्रयागराज की सदर, आजमगढ़ की निजामाबाद, शाहजहांपुर की पुवायां, जौनपुर की बदलापुर, महराजगंज की सदर, बुलंदशहर की बुलंदशहर और वाराणसी की पिण्डरा।

बॉटम-10 तहसील

रामुपर की बिलासपुर, मैनपुरी की करहल, हाथरस की सासनी, अयोध्या की बीकापुर, इटावा की भरथना, कन्नौज की कन्नौज, हाथरस की हाथरस, औरैया की बिधूना व औरैया, जौनपुर की केराकत।

उत्तर प्रदेश

प्राकृतिक खेती से गंगा को प्रदूषणमुक्त बना रही योगी सरकार

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लखनऊ | भारतीय परंपरा में पतित पावनी, मोक्षदायिनी मानी जाने वाली गंगा को अविरल, निर्मल और प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए योगी सरकार इसके अधिग्रहण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती और वनीकरण को बढ़ावा दे रही है।

सरकार की योजना है कि प्रदेश में गंगा जिन जिलों से गुजरती है उनके दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जाए। ऐसी खेती जिसमें रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों की जगह उपज बढ़ाने और फसलों के सामयिक संरक्षण के लिए पूरी तरह जैविक उत्पादों का प्रयोग हो ताकि लीचिंग रिसाव के जरिए रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का जहर गंगा में न घुल सके। गंगा के तटवर्ती 27 जनपदों में नमामि गंगे योजना चलाई जा रही है जिसके अंतर्गत रसायनमुक्त खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। अद्यतन आंकड़ों के अनुसार गंगा के किनारे के 1000 से अधिक गांवों में प्राकृतिक खेती हो रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के 54 जनपदों में परंपरागत कृषि विकास योजना संचालित की जा रही है। सरकार की मंशा निराश्रित गोवंश के नाते सबसे प्रभावित बुंदेलखंड को प्राकृतिक खेती के लिहाज से उत्तर प्रदेश का हब बनाना है। फिलहाल वहां करीब 24 हजार हेक्टेयर भूमि प्राकृतिक खेती हो रही है।

जैविक कृषि कुंभ में गंगा के किनारे के गांवों प्राकृतिक खेती के लिए आरक्षित करने की उठी थी मांग

योगी सरकार-1 से ही यह सिलसिला शुरू हो चुका है। जिन करीब 5000 क्लस्टर्स में 18000 से अधिक किसान लगभग 10 हजार हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं उनमें नमामि गंगा योजना के तहत करीब 3300 क्लस्टर्स में 6 लगभग 6500 हैक्टेयर में प्राकृतिक खेती हो रही है। इस खेती से जुड़े किसानों की संख्या एक लाख से अधिक है। इस तरह देखा जाय तो जैविक खेती का सर्वाधिक रकबा गंगा के मैदानी इलाके का ही है। इंडो-गंगेटिक मैदान का यह इलाका दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शुमार होता है। इसी नाते ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से नवम्बर 2017 में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट ग्रेटर नोएडा में आयोजित जैविक कृषि कुंभ में विशेषज्ञों ने यह संस्तुति की थी गंगा के मैदानी इलाकों को जैविक खेती के लिए आरक्षित किया जाय। चूंकि हर साल आने वाली बाढ़ के कारण इस क्षेत्र की मिट्टी बदलकर उर्वर हो जाती है, इस नाते पूरे क्षेत्र में जैविक खेती की बहुत संभावना है। यही वजह है कि योगी सरकार-2 में गंगा के किनारे के सभी जिलों में जैविक खेती को विस्तार दिया गया।

पौधरोपण के जरिए गंगा की गोद को हरा भरा बना रही सरकार

गंगा खेती में प्रयुक्त होने वाले जहरीले रासायनिक खादों और कीटनाशकों से मुक्त हो। इसके लिए जहां योगी सरकार का जोर प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन पर है वहीं गंगा की गोद को हरा भरा करने के लिए सरकार पौधरोपण अभियान के दौरान इस क्षेत्र में अधिक से अधिक पौधरोपण भी करवा रही है। उल्लेखनीय है कि अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआत में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छह महीने में गंगा के किनारे 6759 हेक्टेयर में वनीकरण का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जिन जिलों से गंगा गुजरती है उनमें से 503 जगहों का चयन किया गया था। अब ये सिलसिला और आगे तक बढ़ चुका है।

गंगा के किनारे के सभी जिलों में विकसित होंगे गंगा वन

गंगा के किनारे के सभी जिलों में गंगा वन लगाए जाने हैं। कासगंज और कई और जगहों पर इसकी शुरूआत भी हो चुकी है। प्रयास यह है कि ये वन बहुपयोगी हों और इनमें संबंधित जिले के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार परंपरागत से लेकर दुर्लभ और औषधीय प्रजाति के पौधे लगाए जाएं। कुछ ऐसी ही परिकल्पना गंगा सहित अन्य नदियों के किनारे बनने वाले बहुउद्देश्यीय तालाबों के किनारे भी होने वाले पौधरोपण के बारे में की गई है। मकसद एक है पर्यावरण संरक्षण। इससे होने वाले अन्य लाभ बोनस होंगे।

गंगा के अधिग्रहण क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार पहले से ही गंगा वन, गंगा तालाब और सिर्फ गंगा ही नहीं, गंगा की सहायक नदियों और अपेक्षाकृत प्रदूषित नदियों के किनारों पर भी सरकार की योजना सघन पौधरोपण की है। इससे न सिर्फ हरियाली बढ़ेगी, बल्कि प्राकृतिक तरीके से संबंधित नदियों का प्रदूषण भी दूर होगा। साथ ही कटान रुकने से उन क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या या विकरालता भी कम होगी।

गंगा का सर्वाधिक कैचमेंट एरिया यूपी में ही

मालूम हो कि गंगा के मैदानी इलाके का अधिकांश इलाका उत्तर प्रदेश में ही है। गंगा की कुल लंबाई बांग्लादेश को शामिल करते हुए 2525 किलोमीटर है। इसमें से भारत और उत्तर प्रदेश के क्रमशः 2971 एवं 1140 किलोमीटर का सफर गंगा नदी तय करती है। कुल मिलाकर गंगा नदी प्रदेश के बिजनोर, बदायू, अमरोहा, मेरठ, बुलन्दशहर, अलीगढ़, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर शहर, कानपुर देहात, फतेहपुर, प्रयागराज, मीरजापुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया आदि से होकर गुजरती है।

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