जुर्म
लोकसभा में पास हुआ आपराधिक प्रक्रिया विधेयक, ‘अपराधियों से दो कदम आगे रहेगी पुलिस’-अमित शाह
दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है। कहा जा रहा है कि यह कैदियों की पहचान अधिनियम 1920 की जगह लेगा। सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सांसदों की तरफ से उठाई गई परेशानियों के जवाब दिए। इधर, विपक्ष ने विधेयक को ‘बेरहम’ बताया है। कई विपक्षी सदस्यों ने मांग की है कि इस विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए।
शाह ने यह भी कहा कि जो लोग मानवाधिकार का हवाला दे रहे हैं, उन्हें बलात्कार के पीड़ितों के मानवाधिकार के बारे में भी सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘उन्हें (विपक्ष) को केवल बलात्कारियों, लुटेरों की चिंता है… लेकिन केंद्र कानून का पालन करने वाले नागरिकों के मानवाधिकार की चिंता करता है।’
विधेयक के बारे में पांच पॉइंट्स में जानें-
यह विधेयक पुलिस और जेल अधिकारियों को दोषियों के रेटिना और आइरिस स्कैन समेत फिजिकल और बायोलॉजिकल सैंपल जुटाने, रखने और विश्लेषण करने की अनुमति देता है। विधेयक में बताया गया है कि माप को 75 सालों तक रखा जा सकेगा।
विधेयक में हस्ताक्षर, लेखनी और सीआरपीसी की धारा 53 या 53ए के तहत किसी भी तरह की जांच समेत व्यवहार से जुड़ी विशेषताओं को कानूनी रूप से जुटाया जा सकता है।
इसके अनुसार, अगर दोषी मान लेने में किसी तरह का विरोध जताते हैं, तो उसे आईपीसी की धारा 186 के तहत अपराध माना जाएगा। साथ ही तीन महीने की सजा या 500 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि जो लोग महिलाओं या बच्चों के खिलाफ अपराध में दोषी नहीं पाए गए हैं, वे बायोलॉजिकल सैंपल देने से इनकार कर सकते हैं। 7 साल से कम सजा वाले अपराध के चलते हिरासत में लिए गए लोगों को भी यह अधिकार हासिल होगा।
केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि ये प्रावधान केवल ‘जघन्य अपराधों’ के मामले में ही इस्तेमाल किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कानून का लक्ष्य ‘देश की कानून और व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाना है।’
सोमवार को विपक्षी सांसदों ने विधेयक पर सवाल उठाए। सांसद मनीष तिवारी ने कहा को नागरिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया। वहीं, बहुजन समाज पार्टी के दानिश अली ने कहा कि यह बिल ‘देश को पुलिस राज्य में बदल सकता है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।’ जबकि, शाह का कहना है, ‘नई पीढ़ी के अपराधों से पुराने तरीकों के जरिए नहीं निपटा जा सकता। हमें आपराधिक न्याय प्रणाली को अगले युग में ले जाने की कोशिश करनी चाहिए।’
उत्तर प्रदेश
मेरी पत्नी से शिक्षक का था अफेयर, इसलिए मार डाला; वकील के कबूलनामे से आया नया ट्विस्ट
कानपुर। उप्र के कानपुर के पनकी के पतरसा में शिक्षक दयाराम सोनकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार वकील संजीव कुमार के बयान ने पेंच फंसा दिया है। वकील ने जो बयान दिया, उसके मुताबिक शिक्षक के उसकी पत्नी से अवैध संबंध थे। चूंकि शिक्षक वर्तमान में कानपुर देहात में ही रह रहा था।
इसके चलते पत्नी भी कानपुर देहात स्थित मायके में ही थी। इसलिए उसने रविवार को दयाराम को बुलाकर अकेले ही बंद कमरे में जिंदा जलाकर मार डाला। वहीं, मृतक के भाई का कहना है कि भाभी के संबंध ढाबा संचालक से थे। विरोध करने पर भाभी ने प्रेमी और वकील के साथ मिलकर भाई की हत्या कर दी।
मृतक दयाराम के छोटे भाई अनुज ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि भाई दयाराम ने अपने मोबाइल फोन से उन्हें कॉल करके बताया था कि संजीव, पवन और संगीता ने उन्हें कमरे में बंद करके आग लगा दी है और भाग गए हैं। तहरीर के आधार पर पुलिस ने जब वकील संजीव को उठाकर पूछताछ शुरू की तो कहानी में नया मोड़ आ गया।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक संजीव ने बताया कि दयाराम जिस कॉलेज में पढ़ाता था, उसी में संजीव का साला शिक्षक है। दोनों में गहरी दोस्ती थी। दयाराम का संजीव के साले के घर में भी आना-जाना था। संजीव को दयाराम और उसकी पत्नी के बीच अवैध संबंध का शक था।
संजीव के अनुसार, पत्नी को कई बार घर लाने की कोशिश की, लेकिन वो राजी नहीं हुई। पत्नी से संबंधों को लेकर बातचीत के लिए दयाराम को घर बुलाया। इसके बाद पेट्रोल डालकर आग लगा दी। हालांकि, पुलिस को अन्य हत्यारोपियों की घटनास्थल के आसपास लोकेशन भी नहीं मिली है। दोनों कहानियों की तह तक जाने के लिए पुलिस अब सक्ष्यों की मदद ले रही है।
संजीव कई बार बुला चुका था दयाराम को
अनुज ने बताया कि संजीव कई बार दयाराम को फोन करके उसकी पत्नी से समझौता कराने की बात कहकर बुला चुका था। परिवार वालों की राय के बाद वे समझौते के लिए गए थे, वहां सभी ने मिलकर उनके भाई की हत्या कर दी।
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