प्रादेशिक
डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि आज, सीएम योगी ने कही ये बात
लखनऊ। भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के 66वीं महापरिनिर्वाण दिवस पर सीएम योगी ने उन्हें याद किया है। सीएम योगी ने कहा कि मैं यूपी सरकार की ओर से भारत माता के इस महान सपूत को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। संविधान केवल एक पुस्तिका या ग्रन्थ नहीं, बल्कि भारत को क्या चाहिए और अनंतकाल तक भारत को कैसे यह संविधान आगे बढ़ाएगा उसको उन्होंने केवल तीन शब्दों के आधार पर सब कुछ कह दिया।’ स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व’ इस संविधान का आदर्श है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी ने इस देश को एक संविधान दिया। संविधान किसी भी संप्रभु-संपन्न राष्ट्र के लिए एक मार्ग निर्देशक होता है, जो पूरे देश को एक व्यवस्थित मूल्यों के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा प्रदान करता है। बाबा साहब के प्रति यह सम्मान का भाव ही है कि पूरा देश 26 नवंबर की तिथि को बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए ”संविधान दिवस’ के रूप में मनाता है।
उन्होंने कहा कि एक समतामूलक समाज की स्थापना किए बगैर एक सशक्त और समर्थ भारत की परिकल्पना बेमानी होगी। प्रधानमंत्री जी ने सदैव इस पर ध्यान दिया और सरकार ने कार्य भी किया। बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी से जुड़े हुए पांच तीर्थ स्थलों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित किया। आदरणीय प्रधानमंत्री जी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने देश में बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की भावनाओं के अनुरूप भारत के निर्माण के लिए बिना भेदभाव के समाज के प्रत्येक वर्ग को शासन की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य किया।
सीएम योगी ने कहा कि लखनऊ के ऐशबाग में एक भव्य स्मारक व सांस्कृतिक केंद्र बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी को समर्पित होने जा रहा है। आंबेडकर महासभा जिस बात को लेकर दशकों से संघर्ष कर रहा था कि लखनऊ में भी बाबा साहब जी का एक भव्य सांस्कृतिक केंद्र व स्मारक बनाना चाहिए।उसे यूपी सरकार ने न केवल अपनी सहमति दी, बल्कि मा. राष्ट्रपति जी के कर कमलों से उसका शुभारंभ भी करा दिया है। हम बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी पर शोध करने वाले शोधार्थियों के रहने व उनके स्कॉलरशिप की भी व्यवस्था करेंगे।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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