अन्तर्राष्ट्रीय
पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने कहा- कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती की
वाशिंगटन डीसी। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी चरमपंथी हरजीत सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाने को लेकर देश ही नहीं, विदेशी नेताओं के भी निशाने पर आ गए हैं। अब अमेरिका के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती कर दी है।
अपने आरोपों को खुद साबित नहीं पाएंगे ट्रूडो
पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कहा कि कनाडा के पीएम ट्रूडो ने यह आरोप लगाकर बहुत बड़ी गलती की है कि खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के साथ भारत का संबंध हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अपने आरोपों को साबित नहीं कर पाने में खुद असमर्थ हैं।
पीएम ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती की
माइकल रूबिन ने कहा कि मुझे लगता है कि पीएम ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती की है। उन्होंने जो आरोप लगाए हैं, उसका सबूत वो खुद नहीं दे पाएंगे। उनके पास भारत सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
एक आतंकी को क्यों पनाह दे रही कनाडा की सरकार
पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने ट्रूडो पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें यह बताना होगा कि उनकी सरकार एक आतंकी को पनाह क्यों दे रही है। उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ कनाडाई पीएम के आरोपों पर उनके विचार पूछे जाने पर उपरोक्त बातें कही।
18 जून को निज्जर की गोली मारकर हत्या
गौरतलब है कि ट्रूडो ने सोमवार 18 सितंबर को कनाडा की संसद के अंदर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ होने का आरोप लगाया था। निज्जर को भारत ने आतंकी घोषित कर रखा है। उसकी 18 जून को कनाडा के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
ब्लिंकन के बयान पर साधा निशाना
पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के फेलो भी हैं। वे ईरान, तुर्की और दक्षिण एशिया मामलों के एक्सपर्ट हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की टिप्पणी कि अमेरिका हमेशा अंतरराष्ट्रीय दमन के खिलाफ खड़ा है, उन्होंने कहा कि यदि ब्लिंकन यह बयान देते हैं तो हम वास्तव में पाखंडी हो रहे हैं, क्योंकि हम जिस बारे में बात कर रहे हैं, वह अंतरराष्ट्रीय दमन नहीं है।
ब्लिंकन ने क्या कहा?
दरअसल, ब्लिंकन ने 22 सितंबर को कहा था कि निज्जर की हत्या में भारत सरकार की संलिप्तता के बारे में ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों से अमेरिका ‘गहराई से चिंतित’ है। ब्लिंकन ने यह भी कहा कि अमेरिका जवाबदेही देखना चाहता है।
कनाडा के आरोप राजनीति से प्रेरित
इससे पहले, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 21 सितंबर को कहा कि खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत के ‘संभावित संबंधों’ के बारे में कनाडा द्वारा लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि निज्जर की हत्या के संबंध में कनाडा ने भारत को कोई जानकारी साझा नहीं की है।
अन्तर्राष्ट्रीय
अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध
नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।
अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान
प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी
अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।
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