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उत्तर प्रदेश

सीतापुर की जेल में बज रहा गायत्री मंत्र, अपराधियों को नेक बनाने के लिए सीएम योगी की पहल

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यूपी में दोबारा सत्ता में आने के बाद से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जेलों में ‘महामृत्युंजय और गायत्री मंत्र’ बजाने का फैसला लिया था। इसी कड़ी में सीतापुर जेल में रविवार को कैदियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए गायत्री मंत्र बजाया जा रहा है। इस जेल में अभी समाजवादी पार्टी के दिग्गज सांसद आजम खान भी ढाई साल से अधिक समय से बंद हैं। वे भी अन्य कैदियों के साथ गायत्री मंत्र का पाठ सुन रहे है। इससे पहले यूपी के जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने गायत्री मंत्र बजाने को लेकर निर्देश जारी किए थे। उन्होंने बताया था कि जेलों में बंद कैदियों की मानसिक शांति के लिए ये मंत्र बजाए जाएंगे।

मामला सीतापुर जिला कारागार का है। जेल परिसर में बने कंट्रोल रूम के पास सभी कैदियों पर सीसीटीवी से निगरानी की जाती है। वहीं से गायत्री मंत्र का संचालन किया जाता है। इसी के माध्यम से सभी कैदी गायत्री मंत्र को सुनकर और जाप करते है। दरअसल, सीतापुर जेल में आजम खान सहित 1904 कैदी जेल में बंद हैं, जिसमें 71 महिलाएं शामिल हैं। कारागार राज्य मंत्री सुरेश राही का कहना है कि जेलों में गायत्री मंत्र के पाठ का बहुत अच्छा फीडबैक आ रहा है।

आजम खान के खिलाफ 87 मुकदमे

उन्होंने कहा कि बढ़िया चीज है सभी धर्मों में जो हमारे श्लोक और आयते हैं उनका सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि जीवन में शांति और सुख रहे। इसी उद्देश्य को लेकर जेलों में गायत्री मंत्र का पाठ कराया जा रहा है। सुरेश राही ने आगे कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो गलत है। गायत्री मंत्र से मन शांत रहेगा। बता दें कि रामपुर से समाजवादी पार्टी केसांसद आजम खान बीते दो साल से अधिक समय से सीतापुर की जेल में बंद हैं। आजम के खिलाफ 87 मुकदमे कई अदालतों में विचाराधीन हैं। 86 में उनकी जमानत हो चुकी है. एक मुकदमे में जमानत होना बाकी है।

कैदियों की मानसिक शांति का इंतजाम

जेल एवं होमगार्ड राज्य मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि, ”राज्य की जेलों में कैदियों, खासकर जिन्हें अपने अपराधों को लेकर पश्चाताप है, उनमें सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जेलों में ‘गायत्री मंत्र‘ और ‘महामृत्युंजय मंत्र‘ बजाए जाएंगे।” उन्होंने कहा कि, ”कैदियों के लिए संतों के उपदेश होंगे। इस पहल का लक्ष्य कैदियों में सकारात्मक सोच पैदा करना है ताकि जब तक वो जेल से रिहा हों तब तक अच्छे लोग बन सकें।”

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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