Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

जर्मनी: कोर्ट ने भारतीय बच्ची अरिहा की कस्टडी माता-पिता को सौंपने से किया इनकार

Published

on

Germany Court refuses to hand over custody of Indian girl Ariha to parents

Loading

बर्लिन। जर्मनी की राजधानी बर्लिन की एक कोर्ट ने 27 महीने की भारतीय बच्ची अरिहा शाह की कस्टडी उसके माता-पिता को देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने बच्ची को जर्मनी यूथ वेलफेयर ऑफिस की देखरेख में बच्ची को रखने का निर्देश दिया है।

बता दें कि सितंबर 2021 से अरिहा जर्मनी की सरकार की कस्टडी में है। शुक्रवार को जर्मन कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की थी। इस दौरान अरिहा के माता-पिता ने दलील दी कि बच्ची को दुर्घटनावश चोट लगी लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने कही ये बात

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बच्ची की सुरक्षा को देखते हुए कोर्ट ने उसकी कस्टडी उसके माता-पिता को देने की बजाय जर्मनी यूथ वेलफेयर ऑफिस को दी। कोर्ट ने कहा कि उनका ये मानना है कि माता-पिता ने जानबूझकर बच्ची को चोट पहुंचाई और वह चोट लगने की वजह का भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।

कोर्ट ने कहा कि अरिहा को अप्रैल 2021 में सिर और कमर पर चोट लगी थी। वहीं सितंबर 2021 में बच्ची के निजी अंगों में भी चोट लगी थी। परिजनों ने दावा किया कि बच्ची को नहलाने के दौरान यह चोट लगीं लेकिन कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया।

भारत सरकार भी कर रही मदद

अरिहा को वापस उसके माता-पिता के पास लाने में भारत सरकार भी मदद कर रही है। 2 जून को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बयान जारी कर कहा था कि बच्ची को जर्मन फोस्टर केयर में रखना उसके सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई अधिकार का उल्लंघन है।

भारत सरकार और उसके माता-पिता इस बात से बेहद चिंतित हैं। भारत की 19 राजनीतिक पार्टियों के 59 सांसद भी भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन को पत्र लिखकर अरिहा की कस्टडी उसके भारतीय माता-पिता को देने की अपील कर चुके हैं।

वहीं अदालत के फैसले के बाद अरिहा के माता-पिता ने भारत सरकार में विश्वास जताते हुए कहा कि पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर उनकी बच्ची को वापस भारत लाएंगे। उन्होंने कहा कि आज से उन्होंने अरिहा को 140 करोड़ भारतीयों को सौंप दिया है।

क्या है ये पूरा मामला

अरिहा के पिता भावेश शाह पेशे से सॉफ्टवेयर इंजिनियर हैं और अपनी पत्नी धारा के साथ जर्मनी में रहते हैं। अरिहा जब सात माह की थी तो उसे खेलते हुए चोट लग गई, जिसके बाद उसके माता-पिता उसे अस्पताल लेकर गए। अस्पताल के डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि बच्ची का यौन शोषण हुआ है, जिसके बाद जर्मन अधिकारियों ने बच्ची को अपनी कस्टडी में ले लिया। इसके बाद से ही अरिहा जर्मन सरकार की कस्टडी में है और उसके माता-पिता उसकी कस्टडी वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

Published

on

Loading

नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Continue Reading

Trending