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अन्तर्राष्ट्रीय

यूक्रेन की मदद कर कंगाल हुए नाटो देशों को सता रही है रूसी हमले की चिंता  

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कीव/मास्को। यूक्रेन रूस युद्ध (ukraine russia war) को चलते लगभग आठ माह से ज्यादा हो चुके हैं। स्थिति यह है कि नाटो देशों ने यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कम या बंद कर दी है। दूसरी ओर रूसी सैनिक यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में बमबारी और एयर स्ट्राइक को बढ़ाकर और ज्यादा घाव दे रहे हैं।

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एपी की रिपोर्ट है कि यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई करते-करते नाटो देश खुद कंगाल हो गए हैं और अब उन्हें रूस के संभावित हमले से खुद की सुरक्षा की चिंता सता रही है। हालांकि यूक्रेन के लिए राहत यह है कि अमेरिका ने यूक्रेन को आर्थिक और हथियारों की मदद नहीं रोकी है।

इस मामले के जानकारों का कहना है कि अधिकतर नाटो देशों का यूक्रेन को मदद देने से अपने हाथ खींचना रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बड़ी जीत के रूप में देखी जा सकती है। इस बात में कोई संदेह नहीं कि रूस दुनिया की महाशक्ति है और परमाणु हथियारों से लेकर कई घातक हथियारों का जखीरा रखे हुए है।

पिछले एक साल में हालांकि रूस का हथियार भंडार भी प्रभावित हुआ है लेकिन, खत्म नहीं हुआ। हाल ही में रूसी सैनिकों ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों पर ईरानी ड्रोन से तबाही मचाई थी। अब रूसी सैनिक खेरसॉन शहर में यूक्रेनी सैनिकों को खदेड़ने में जुटे हैं।

कंगाल हो रहे नाटो देश

एपी की रिपोर्ट है कि कई यूरोपीय देश यूक्रेन को मदद करके खुद कंगाल हो गए हैं। कई नाटो देश इस वक्त हथियारों की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में अब उन्हें खुद की सुरक्षा का खतरा सता रहा है। पिछले कुछ महीनों में संयुक्त राज्य अमेरिका और कई नाटो देशों ने रूस के खिलाफ लड़ाई में यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार और उपकरण सप्लाई किए हैं। लेकिन अब कई छोटे नाटो देशों और यहां तक ​​​​कि कुछ बड़े देशों के पास हथियारों का जखीरा खत्म होने लगा है।

हथियार तुरंत तैयार करना लगभग असंभव

रिपोर्ट कहती है कि हथियारों का तुरंत निर्माण कई नाटो देशों के लिए मुश्किल है। दुनिया इस वक्त आर्थिक मंदी झेल रही है। ऐसे में कई छोटे नाटो देशों के पास तुरंत घातक हथियार आयात करना या तैयार करना लगभग असंभव है। कई बड़े देश भी इससे अछूते नहीं है। इसके पीछे बड़ी वजह मजबूत रक्षा क्षेत्र का न होना भी है।

खुद को बचाएंगे या यूक्रेन को मदद करेंगे?

अब ये नाटो देश इस धर्मसंकट में हैं कि क्या वे अपने हथियारों की सप्लाई यूक्रेन को मदद के लिए आगे भी जारी रखेंगे या फिर रूस के संभावित हमले से खुद को बचाएंगे?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से की मुलाकात

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ब्राजील। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (स्थानीय समय) को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अपने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक और पब्लिक टू पब्लिक रिलेशन को मजबूत करने सहित व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।

पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि, रियो डी जनेरियो जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात करके खुशी हुई। हमारी बातचीत रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में संबंधों को गहरा करने पर केंद्रित थी। हमने इस बारे में भी बात की कि संस्कृति, शिक्षा और ऐसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग कैसे बढ़ाया जाए। भारत-इटली मित्रता एक बेहतर ग्रह के निर्माण में बहुत योगदान दे सकती है।

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