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अन्तर्राष्ट्रीय

दुनिया में रहने योग्य शहरों की सूची जारी, वियना सबसे ऊपर; दमिश्क सबसे नीचे  

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top liveable city in the world Vienna

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नई दिल्ली। दुनिया में रहने योग्य शहरों की सूची जारी की गई है। इसमें भारत ने पाकिस्तान को पीछे छोड़ दिया है। एशिया प्रशांत (Asia-Pacific APAC) की सूची में 173 शहरों का नाम शामिल है। इसमें ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना को रहने के हिसाब से सबसे अच्छा शहर बताया गया है।

173 देशों की सूची

बता दें, शहरों की यह रैकिंग स्वास्थ्य, शिक्षा, स्थिरता, बुनियादी ढांचे और पर्यावरण सहित कई महत्वपूर्ण कारकों के आधार पर की गई है। इन 173 देशों की सूची में भारत के चार शहर बेंगलुरु, चेन्नई, नई दिल्ली और मुंबई भी शामिल हैं।

यह है दूसरे, तीसरे नंबर पर

इकोनॉमिस्ट रिपोर्ट के अनुसार, वियना के बाद डेनमार्क का कोपेनहेगन दूसरे स्थान पर बरकरार है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न और सिडनी सूची में तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। शीर्ष 10 में कनाडा के तीन शहर शामिल हैं। जापान के ओसाका ने 10वां स्थान हासिल किया है।

भारतीय शहर भी शामिल

रिपोर्ट में चार भारतीय शहर नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु एशिया-प्रशांत शहरों में 45 से 50वें स्थान पर हैं। रैंकिंग में सबसे नीचे खिसकने वाले 10 शहरों में से तीन यूके के एडिनबर्ग, मैनचेस्टर और लंदन और दो अमेरिका के लॉस एंजिल्स और सैन डिएगो हैं। लंदन एक साल पहले के मुकाबले 12 से गिरकर 46वें स्थान पर और न्यूयॉर्क 10वें से स्थान गिरकर 69वें स्थान पर आ गया।

पाकिस्तान की यह स्थिति

रिपोर्ट में, सबसे कम रहने योग्य शहर सीरिया की राजधानी दमिश्क है। यह करीब 10 सालों से अधिक समय से अपनी जगह बनाए रखा हुआ है। इसके अलावा जिन शहरों को खराब बताया गया है वो पाकिस्तान का कराची, जो 169वें पर हैं। वहीं, पापुआ न्यू गिनी का पोर्ट मोरेस्बी 168 वें और बांग्लादेश का ढाका 167 वें स्थान पर हैं।

 

 

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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