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उत्तर प्रदेश

लखनऊ: राजकीय मुद्रणालय का 250 करोड़ की लागत से होगा आधुनिकीकरण, लगाई जाएंगी इम्पोर्टेड मशीनें

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Government Press will be modernized at a cost of Rs 250 crore

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लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी ने जब से उद्योग विभाग की जिम्मेदारी सम्भाली है, राजकीय मुद्रणालय का आधुनिकीकरण और विभिन्न विभागों के अधिक से अधिक राजकीय समग्री का मुद्रण गवर्नमेंट प्रेस में ही हो यह उनकी प्राथमिकता रही है। जिसे धरातल पर लाते हुए लखनऊ के ऐशबाग में स्थित राजकीय मुद्रणालय के आधुनिकीकरण की योजना बनाई गई है।

जिस पर करीब 250 करोड़ रूपए खर्च होगा। शुक्रवार को पिकअप भवन सभागार में मंत्री नन्दी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में राजकीय मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग के अधिकारियों ने राजकीय मुद्रणालय लखनऊ के आधुनिकीकरण का प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया, जिसे मंत्री नन्दी ने मंत्री परिषद में भेजने के निर्देश दिए।

औद्योगिक विकास मंत्री ने की मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग की समीक्षा

मंत्री नन्दी ने शुक्रवार को पिकअप भवन सभागार में मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग के कार्यों एवं आधुनिकीकरण योजना की गहन समीक्षा की। जिसमें अधिकारियों ने मंत्री नन्दी को बताया कि राजकीय मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग की वेबसाइट को अपडेट कर दिया गया है, जिसमें विभाग से सम्बंधित सारी जानकारी उपलब्ध है।

वहीं कच्चे माल की इन्वेन्ट्री आदि के डिजिटिलाइजेशन की जिम्मेदारी यूपीडेस्को को सौंपी गई है, जो जल्द ही कार्य शुरू करेगा। अधिकारियों ने बताया कि विभाग में रिक्त पदों पर भर्ती की जाए, इसकी प्रक्रिया चल रही है। कार्मिक एवं वित्त विभाग की सहमति के बाद प्रस्ताव को मंत्री परिषद में भेजा जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि राजकीय मुद्रणालय ऐशबाग लखनऊ में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज से सम्बंधित सादी उत्तर पुस्तिकाएं, उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा परिषद, विभागीय परीक्षाओं से सम्बंधित उत्तर पुस्तिकाएं, आयुष विभाग की होमियोपैथिक परीक्षा से सम्बंधित सभी उत्तर पुस्तिकाएं,

15 जनपदों से सम्बंधित विभिन्न विभागों पुलिस, राजस्व, चकबंदी, भूलेख, कृषि इत्यादि से सम्बंधित समस्त प्रपत्रों का मुद्रण कार्य तथा उत्तर प्रदेश विधान सभा-विधान परिषद के सत्र से सम्बंधित एजेण्डा, विधायिका व अन्य मुद्रित सामग्रियों का मुद्रण कार्य, राजभवन सचिवालय से सम्बंधित मुद्रण कार्य,

राज्यपाल के लेटर हेड आदि का मुद्रण कार्य, भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग के निर्वाचन से सम्बंधित मतपत्रों, प्रपत्रों एवं स्टेशनरी आदि का मुद्रण कार्य, उत्तर प्रदेश सचिवालय से सम्बंधित कार्य किए जाते हैं। लेकिन क्षमता कम होने के कारण सभी विभागों की जरूरतें निर्धारित समय में पूरी नहीं हो पाती हैं, जिसकी वजह से विभागों को राजकीय मुद्रणालय के अलावा बाहर से मुद्रण कराना पड़ता हैं।

सभी विभागों के मुद्रण कार्य गवर्नमेंट प्रेस में ही इसलिए राजकीय मुद्रणालय ऐशबाग लखनऊ के आधुनिकीकरण की योजना बनाई गई है। अधिकारियों ने बताया कि अभी तक ऐशबाग में 1200 मीट्रिक टन कागज की खपत कर रहे हैं, जबकि आधुनिकीकरण व इम्पोर्टेड मशीनें लगने के बाद यह क्षमता 1200 मीट्रिक टन से 4500 मीट्रिक टन हो जाएगी।

देश के सबसे इंटीग्रेटेड मॉडल के आधार पर राजकीय मुद्रणालय ऐशबाग के आधुनिकीकरण की योजना बनाई गई है। अधिकारियों के प्रस्तुतिकरण के अनुसार राजकीय मुद्रणालय का नया भवन स्वास्तिक के आकार का बनाया जाएगा। जिसमें 100 करोड़ रूपया भवन निर्माण और 150 करोड़ रूपया आधुनिक मशीनों को खरीदने में खर्च होगा। मंत्री नन्दी ने अधिकारियों के प्रस्तुतिकरण की बारीक समीक्षा करने के बाद इसे मंत्रीपरिषद में स्वीकृति के लिए भेजने के निर्देश दिएं।

बैठक में प्रमुख सचिव औद्योगिक विभाग अनिल सागर, डायरेक्टर मुद्रण एवं सीईओ इन्वेस्ट यूपी अभिषेक प्रकाश, एमडी पिकअप पीयूष वर्मा एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।

उत्तर प्रदेश

आईआईटियन बाबा अभय सिंह को श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने दिखाया बाहर का रास्ता, जानें क्या है वजह

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महाकुंभ नगर। महाकुंभ के दौरान एकाएक चर्चाओं में आए आईआईटियन बाबा अभय सिंह को श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बाबा अभय सिंह को जूना अखाड़े में आने जाने से रोक दिया गया है। आईआईटी बाबा अभय सिंह ने आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई की थी। मीडिया से बातचीचत कर अभय सिंह ने संन्यास लेने के पीछे का दर्द भी बयां किया था. उस बातचीत के दौरान उन्होंने अपने निजी जीवन के कई किस्से भी साझे किए थे.

आईआईटी बाबा के नाम से फेमस हुए अभय सिंह को जूना अखाड़े में आने जाने से रोकने की वजह आखिर क्या है? जूना अखाड़ा उनकी किस बात से नाराज है? ऐसे कई सवाल हैं। अखाड़े के मुताबिक उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि अभय ने कथित तौर पर गुरु के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया है। बाबा को अखाड़ा शिविर व उसके आस-पास आने पर रोक लगा दी गई है। इस पूरे मामले को लेकर अखाड़े का कहना है कि संन्यास में अनुशासन और गुरु के प्रति समपर्ण महत्वपूर्ण है। इसका पालन न करने वाला संन्यासी नहीं बन सकता है।

कौन हैं इंजीनियर बाबा?

इंजीनियर बाबा का असली नाम अभय सिंह है। उनके इंस्टाग्राम हैंडल के मुताबिक, वह मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। अभय सिंह ने कई मीडिया इंटरव्यू में दावा किया है कि उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस से इंजीनियरिंग की है। वह कनाडा में हवाई जहाज बनाने वाली कंपनी में जाॅब करते थे और लाखों में उनका पैकेज था। एकाएक मन में वैराग्य उत्पन्न होने के बाद उन्होंने सांसारिक मोहमाया त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। जूना अखाड़े में उनके शिविर के बाहर देश विदेश की मीडिया समेत उनसे मिलने वालों की भीड़ लग रही थी। देखते ही देखते वह पूरे देश में सुर्खियों में आग गए।

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