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अन्तर्राष्ट्रीय

‘जहरीला’ मौलाना अंजेम चौधरी लंदन में अरेस्‍ट, आतंकियों के साथ रिश्‍ते का आरोप

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Maulana Anjem Chowdhary arrested in London

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लंदन। ब्रिटेन की पुलिस ने नफरत का जहर उगलने वाले ‘जहरीले’ मौलाना अंजेम चौधरी को आतंकियों के साथ रिश्‍ते के आरोप में अरेस्‍ट कर लिया है। बताया जा रहा है कि सोमवार को लंदन पुलिस ने अलसुबह पूर्वी लंदन में अंजेम चौधरी के घर पर धावा बोला और उसे अरेस्‍ट कर लिया।

इसके करीब 7 घंटे बाद ब्रिटेन के आतंकवाद निरोधक दस्‍ते ने लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट से कनाडा से आए एक और शख्‍स को अरेस्‍ट कर लिया है। इन दोनों पर ही प्रतिबंधित आतंकी संगठन के सदस्‍य होने का संदेह है। अंजेम चौधरी ब्रिटेन में खलीफा शासन लागू करना चाहता है। यही नहीं मौलवी अक्‍सर ब्रिटेन में रह रहे हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलता रहता है।

ब्रिटेन पुलिस ने पिछली रात पूर्वी लंदन में तीन जगहों की तलाशी ली है। पेशे से वकील अंजेम चौधरी कई वर्षों से ब्रिटेन का सबसे प्रभावी मुस्लिम चरमपंथी रहा है। अंजेम को आईएसएस के लिए समर्थन जुटाने पर साल 2016 में साढ़े 5 साल के लिए जेल में डाल दिया गया था।

जेल से रिहा होने के बाद एक बार से अंजेम चौधरी जहरीले बयान देने लगा है। उसने इस साल जनवरी महीने में अपनी आत्‍मकथा में ब्रिटेन के राजकुमार हैरी को अफगानिस्‍तान में तालिबान के 25 लड़ाकुओं को मार गिराने का जिम्‍मेदार बताया था।

भाषण देने, मोबाइल रखने पर लगा था बैन

ब्रिटेन पुलिस के प्रवक्‍ता ने कहा, ‘आतंकवाद निरोधक दस्‍ते नेदो लोगों को आतंकी अपराधों के संदेह में अरेस्‍ट किया है। इन पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन के सदस्‍य होने का संदेह है। उन्‍हें जेल भेज दिया गया है। पुलिस अभी तलाशी अभियान चला रही है।’

अंजेम चौधरी ब्रिटेन में रह रहे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच नफरत फैलाता रहता है। उस पर ब्रिटेन में मुस्लिम युवाओं की एक पूरी पीढ़ी को कट्टरपंथी बनाने का आरोप है। ब्रिटेन में उसके सार्वजनिक जगहों पर भाषण देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

इसके अलावा अंजेम चौधरी को मोबाइल तथा इंटरनेट इस्‍तेमाल करने से भी रोक दिया गया था। हाल ही में उसके खिलाफ लगे प्रतिबंधों को खत्‍म कर दिया गया था। इन प्रतिबंधों के हटने के बाद एक बार फिर से अंजेम चौधरी आतंकी गतिव‍िधियों में लिप्‍त हो गया था।

अंजेम चौधरी मुस्लिम युवाओं को हिंसा के लिए उकसाता था। ब्रिटेन के लिसेस्‍टर इलाके में मुस्लिम 18.6 फीसदी और हिंदू 15 फीसदी रहते हैं। इनमें से ज्‍यादातर भारत के गुजरात राज्‍य के हैं। इस इलाके में पिछले दिनों जमकर हिंसा हुई थी जिसमें अंजेम चौधरी की भूमिका सामने आई थी।

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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