प्रादेशिक
एग्रेसिव टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट अभियान से काबू में आई कोरोना की दूसरी लहरः नवनीत सहगल
लखनऊ। अपर मुख्य सचिव ‘सूचना’ नवनीत सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में 3 टी के अन्तर्गत एग्रेसिव टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट का अभियान चलाया जा रहा है। 3 टी के तहत प्रदेश में टेस्टिंग बढ़ाने, ऑक्सीजन बेडों की संख्या बढ़ाने, आंशिक कफ्र्यू तथा वैक्सीनेशन पर कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 3 टी अभियान के तहत घर-घर जाकर उनका हालचाल जाना गया और जहां पर कोविड-19 के लक्षण दिखायी पड़े उनका एंटीजन टेस्ट कराया गया अगर उसमें निगेटिव आये फिर भी उनका आर.टी.पी.आर. टेस्ट भी कराया जा रहा है तथा उनको लगभग 05 लाख से अधिक मेडिकल किट भी उपलब्ध करायी गयी।
आर.टी.पी.आर. टेस्ट की संख्या लगातार बढ़ायी गई लगभग 3 से 3.5 लाख आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या रखी गयी है। 31 मार्च, 2021 से ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत टेस्ट कराये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ विशेषज्ञों द्वारा कहा गया था कि 15 मई के बाद उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 1 लाख से अधिक केस आयेंगे। मुख्यमंत्री जी द्वारा व्यक्तिगत रूप से प्रदेश के सभी जनपदों में लगातार दौरे किया उसी का नतीजा है कि जो विशेषज्ञों की आशंकाएं थी वह निर्मूल साबित हुईं।
सहगल ने बताया कि उत्तर प्रदेश का मॉडल जो सामने निकलकर आया है उसकी तुलना अन्य प्रदेशों से की जाय तो जैसे-महाराष्ट्र में 57 लाख कोरोना के मामले आये, केरल में 24 लाख कोरोना के मामले आये, कर्नाटक में 25 लाख से अधिक कोरोना के मामले आये, वहीं उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद भी केवल 16 लाख कोरोना के मामले आये।
अगर इसको मृत्यु से तुलना की जाए तो महाराष्ट्र में 513, कर्नाटक में 206, तमिलनाडु में 173, दिल्ली में 459, आंध्र प्रदेश में 83 और उत्तर प्रदेश में 47 प्रति मिलियन है। अगर उसकी तुलना विकसित देशों से की जाए, तो उत्तर प्रदेश की जो जनसंख्या है वो इंग्लैण्ड, इटली, जर्मनी, स्पेन की जनसंख्या के बराबर है। अगर इन एक-एक देशों की जनसंख्या की बात करें तो यहां दो-दो हजार प्रति मिलियन महामारी में डेथ हुई थी।
सहगल ने बताया कि प्रदेश में लगभग 80 हजार आॅक्सीजनयुक्त और आईसीयू बेड अस्पतालों में बढ़ाया गया है। मुख्यमंत्री जी ने संभावित तीसरी लहर से बचाव के संबंध में प्रो-एक्टिव नीति अपनाई जा रही है। सभी मेडिकल कालेज में 100-100 बेड के पीआईसीयू के, हर जिला अस्पताल में 25-30 बेड पीआईसीयू के और कम से कम दो सीएससी में पीआईसीयू, पीकू के बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गई हैं। प्रदेश में ऑक्सीजन की समुचित व्यवस्था हेतु सभी अस्पतालों 415 प्लाण्ट लगाये जा रहे हैं ताकि अस्पताल आॅक्सीजन की उपलब्धता में आत्मनिर्भर हो जाएं, जिससे भविष्य में आॅक्सीजन की कठिनाई न आये।
सहगल ने बताया कि प्रदेश सरकार 04 जून से सीरो सर्वे भी करा रहा है, जिससे पता लगाया जा सके की एन्टीबाॅडी की क्या स्थिति है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जी टीम-9 की बैठक में निर्देश दिए हैं कि ब्लैक फंगस के मरीजों का विशेष ध्यान रखा जाए और प्रत्येक दशा में दवा की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। उन्होंने यह भी निर्देशित किया है कि सीएचसी, पीएचसी में डाक्टर की उपलब्धता सुनिश्चित रहे तथा डाक्टर अपनी ग्राउन पर नेमप्लेट जरूर लगायें।
सहगल ने बताया कि कोरोना कफ्र्यू है कई जनपदों में कोरोना के मामले कम हुए हैं, तो ऐसे जनपद जहां कोरोना के एक्टिव मामले 600 से कम हैं वहां पर 01 जून से कुछ छूट दी गई है। वहां पर प्रातः 07ः00 बजे से शाम को 07ः00 बजे तक दुकान खोल सकते हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार व रविवार साप्ताहिक बंदी के साथ रात्रि कफ्र्यू जारी रहेगा। कोचिंग संस्थान, सिनेमा, जिम, माॅल, स्वीमिंगपूल, पूर्णतया बंद रहेंगे।
सहगल ने बताया कि प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल को खरीदे जाने की प्रक्रिया कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए तेजी से चल रही है। 01 अप्रैल से 15 जून, 2021 तक गेहँू खरीद का अभियान जारी रहेगा। गेंहू क्रय अभियान में अब तक 08 लाख 25 हजार से अधिक किसानों से 39,58,271.44 मी0 टन गेहूँ खरीदा गया है। मुख्यमंत्री जी ने आयुक्त एवं सभी जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वे स्वयं और अपने अधीनस्थों के माध्यम से क्रय केन्द्रों का निरीक्षण करते रहें, जिससे किसानों को किसी प्रकार की समस्या न हो।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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