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अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान: आत्मघाती हमले के पीछे ISIS का हाथ, TTP ने कहा- दुश्मनी पैदा करने की कोशिश

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ISIS hand behind the suicide attack

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बाजौर में एक राजनीतिक रैली के दौरान हुए आत्मघाती हमले में अब तक 44 लोगों की मौत हो चुकी है। पाकिस्तान पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि शुरुआती जांच में पता चला है कि आत्मघाती हमले के पीछे खूंखार आतंकी संगठन ISIS का हाथ है।

आत्मघाती हमला रविवार को उस वक्त हुआ, जब सत्ताधारी गठबंधन की सहयोगी पार्टी जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल (JUI-F) की एक रैली खार शहर में आयोजित की गई थी।

ISIS का हाथ

पाकिस्तान पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि हम अभी भी जांच कर रहे हैं और बाजौर विस्फोट की घटना को लेकर सूचनाएं जुटा रहे हैं। शुरुआती जांच में प्रतिबंधित संगठन दाएश (ISIS) की संलिप्तता पता चली है। पुलिस ने तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।

बम डिस्पोजल स्क्वॉड भी मौके पर सबूत जुटाने में जुटी है। खैबर पख्तूनख्वा पुलिस के चीफ अख्तर हयात खान ने बताया कि विस्फोट में 10 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस ने बताया कि आत्मघाती हमलावर लोगों की भीड़ में आगे और मंच के करीब मौजूद था।

TTP ने कही बड़ी बात

बाजौर इलाका पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा पर मौजूद है और तालिबान के प्रभाव वाला इलाका माना जाता है। यही वजह है कि तालिबान के प्रभाव वाले इलाके में इतने बड़े हमले को लेकर काफी चर्चा है। जिस पार्टी की रैली में यह धमाका हुआ, वह जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल (JUI-F) भी कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों की समर्थक मानी जाती है।

बाजौर में हुए विस्फोट को लेकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने भी बयान जारी किया है। इस बयान में टीटीपी ने कहा है कि यह हमला इस्लामिक संगठनों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करने के लिए अंजाम दिया गया है। बता दें कि आईएसआईएस अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

JUI-F के कई नेताओं की मौत

हमले में जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल के कई नेताओं की मौत हुई है। हमलावर ने मंच के पास खुद को विस्फोट से उड़ाया। इस वजह से मंच पर मौजूद पार्टी के तहसील खार प्रमुख मौलाना जियाउल्लाह जान, नवागाई तहसील के पार्टी महासचिव मौलाना हमीदुल्लाह, जिला सूचना सचिव मुजाहिद खान और पार्टी के कई कार्यकर्ता इस हमले में मारे गए।

हमले में घायल हुए 15 लोगों की हालत गंभीर है और इन्हें पाकिस्तानी सेना के हेलीकॉप्टर से पेशावर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों की हालत देखते हुए माना जा रहा है कि मृतकों का आंकड़ा और बढ़ सकता है।

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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