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अन्तर्राष्ट्रीय

अबू धाबी पहुंचे PM मोदी, UAE बोला- हमारी आर्थिक साझेदारी मील का पत्थर

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PM Modi reached Abu Dhabi

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अबू धाबी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दों पर बैठक करने के लिए आधिकारिक यात्रा पर अबू धाबी पहुंचे। हवाईअड्डे पर उनका स्वागत किया गया। इससे पहले प्रधानमंत्री दो दिवसीय फ्रांस दौरे पर रहे।

इससे कुछ घंटे पहले UAE ने कहा कि भारत के साथ उसकी आर्थिक साझेदारी दोनों देशों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। UAE के विदेश व्यापार राज्य मंत्री डॉ. थानी बिन अहमद अल जेयूदी ने कहा कि नई दिल्ली के साथ गैर-तेल व्यापार 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

एक इंटरव्यू में जेयूदी ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात-भारत व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) विकास और अवसर के एक नए युग को आकार देने के लिए किया गया था। CEPA भारत और यूएई के बीच 18 फरवरी, 2022 को हस्ताक्षरित एक समझौता है और यह 1 मई, 2022 को लागू हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत और UAE के बीच CEPA की सफलता के बारे में बोलते हुए डॉ थानी अल जेयूदी ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूएई-भारत व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते को दोनों देशों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाएगा।

उन्होंने कहा कि यूएई-भार सीईपीए को इसलिए डिजाइन किया गया था ताकि 80 फीसदी वस्तुओं पर टैरिफ को हटाकर या कम करके, व्यापार के लिए अनावश्यक बाधाओं को समाप्त करके, निवेश के लिए नए प्लेटफॉर्म बनाकर, और एक-दूसरे के निजी क्षेत्र के लिए सरकारी खरीद को खोलकर 2030 तक द्विपक्षीय गैर-तेल व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक बढ़ाया जा सके, जिससे विकास और अवसर का एक नया युग बने।

भारत और यूएई के बीच सीईपीए के प्रमुख परिणामों पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार प्रवाह में वृद्धि हुई है और सीईपीए ने पूर्व-पश्चिम आपूर्ति श्रृंखलाओं में काफी लचीलापन जोड़ा है और एक नया व्यापार गलियारा विकसित किया है जो एशिया को मध्य पूर्व और अफ्रीका से जोड़ता है।

डॉ थानी अल जेयूदी ने आगे जोर देकर कहा कि वह खुदरा, उद्योग, खाद्य सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल और रसद सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत में यूएई के निवेश के प्रभाव को देखने में सक्षम हैं।

उन्होंने कहा, ‘हमने देखा है कि प्रमुख रसद प्रदाता इन मार्गों पर क्षमता बढ़ा रहे हैं, जिसमें भारत को संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब से जोड़ने के लिए मार्सक की ‘शाहीन एक्सप्रेस’ का शुभारंभ शामिल है, जबकि सीलीड एक नए भारत-दुबई-पूर्व-अफ्रीका (आईडीईए) मार्ग की पेशकश कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, हमने महत्वपूर्ण नए निवेश प्रवाह देखे हैं। भारत में मैं खुदरा, उद्योग, खाद्य सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल और रसद जैसे विविध क्षेत्रों में संयुक्त अरब अमीरात के निवेश के प्रभाव को देखने में सक्षम रहा हूं। मैं गुजरात में 300 मेगावाट के हाइब्रिड संयंत्र सहित हमारी कुछ अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को लेकर भी बहुत उत्साहित हूं, जिसमें एक अभिनव बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली शामिल है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने मई 2023 को एक आधिकारिक बयान में कहा था कि पिछले एक वर्ष के दौरान सीईपीए ने यूएई के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार और विशेष रूप से यूएई को भारत के निर्यात पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। मंत्रालय ने कहा कि भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय व्यापार अप्रैल 2022 से मार्च 2023  तक बढ़कर 84.5 अरब डॉलर हो गया है।

क्राउन प्रिंस अल नाहयान से मिले पीएम मोदी

पीएम मोदी अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मिले। दुबई के बुर्ज खलीफा ने प्रधानमंत्री मोदी की भारत की आधिकारिक यात्रा से पहले कल भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रंगों को प्रदर्शित किया।

प्रधानमंत्री के विजन सागर को साकार कर रहा आईएनएस त्रिकंद: नौसेना

भारतीय नौसेना ने कहा है कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूएई दौरे के दौरान आईएनएस त्रिकंद फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी में तैनात है, जो क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा में योगदान दे रहा है, व्यापार की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित कर रहा है और प्रधानमंत्री के विजन सागर को साकार कर रहा है।

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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