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उत्तर प्रदेश

रामपुर कारतूस कांड: सभी दोषियों को दस-दस साल की कैद, 13 साल बाद आया फैसला

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Rampur Kartoos Case

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रामपुर। उप्र के रामपुर जिले के चर्चित कारतूस कांड की 13 साल की सुनवाई और नौ गवाहों की गवाही के बाद आखिरकार 24 दोषियों को दस-दस साल की कैद और 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि सभी आरोपियों पर सजा समान रुप से चलेगी।

सीआरपीएफ हवलदार विनोद कुमार और वीनेश कुमार को आर्म्स एक्ट में सात सात-साल की सजा और दस-दस हजार की सजा सुनाई गई है। इससे पहले कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सभी आरोपियों को दोषी करार दे दिया था। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया।

शुक्रवार दोपहर बाद सभी को जेल से कोर्ट में पेश किया गया। इसके बाद कोर्ट में सुनवाई के बाद उन्हें सजा सुनाई गई। उन पर सरकारी धन को नुकसान पहुंचाने, चोरी की संपत्ति को कब्जे में रखने, आपराधिक षड्यंत्र रचने के साथ ही आर्म्स एक्ट के तहत केस चला।

एसटीएफ को दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के जवानों के शहीद होने के बाद खुफिया जानकारी मिली थी कि हमले में इस्तेमाल की गईं कारतूस रामपुर से भेजी गई थी। सूचना के आधार पर एसटीएफ लखनऊ की टीम ने रामपुर में 29 अप्रैल 2010 को छापेमारी की थी।

एसटीएफ ने राम रहीम पुल के पास से प्रयागराज निवासी पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन, सीआरपीएफ के हवलदार विनोद कुमार व विनेश को गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से 1.75 लाख की नकदी, खोखा, कारतूस व हथियारों का जखीरा बरामद किया था। इसी दिन मुरादाबाद से पीटीसी में तैनात नाथीराम सैनी को भी गिरफ्तार किया था।

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उत्तर प्रदेश

आईआईटियन बाबा अभय सिंह को श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने दिखाया बाहर का रास्ता, जानें क्या है वजह

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महाकुंभ नगर। महाकुंभ के दौरान एकाएक चर्चाओं में आए आईआईटियन बाबा अभय सिंह को श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बाबा अभय सिंह को जूना अखाड़े में आने जाने से रोक दिया गया है। आईआईटी बाबा अभय सिंह ने आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई की थी। मीडिया से बातचीचत कर अभय सिंह ने संन्यास लेने के पीछे का दर्द भी बयां किया था. उस बातचीत के दौरान उन्होंने अपने निजी जीवन के कई किस्से भी साझे किए थे.

आईआईटी बाबा के नाम से फेमस हुए अभय सिंह को जूना अखाड़े में आने जाने से रोकने की वजह आखिर क्या है? जूना अखाड़ा उनकी किस बात से नाराज है? ऐसे कई सवाल हैं। अखाड़े के मुताबिक उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि अभय ने कथित तौर पर गुरु के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया है। बाबा को अखाड़ा शिविर व उसके आस-पास आने पर रोक लगा दी गई है। इस पूरे मामले को लेकर अखाड़े का कहना है कि संन्यास में अनुशासन और गुरु के प्रति समपर्ण महत्वपूर्ण है। इसका पालन न करने वाला संन्यासी नहीं बन सकता है।

कौन हैं इंजीनियर बाबा?

इंजीनियर बाबा का असली नाम अभय सिंह है। उनके इंस्टाग्राम हैंडल के मुताबिक, वह मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। अभय सिंह ने कई मीडिया इंटरव्यू में दावा किया है कि उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस से इंजीनियरिंग की है। वह कनाडा में हवाई जहाज बनाने वाली कंपनी में जाॅब करते थे और लाखों में उनका पैकेज था। एकाएक मन में वैराग्य उत्पन्न होने के बाद उन्होंने सांसारिक मोहमाया त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। जूना अखाड़े में उनके शिविर के बाहर देश विदेश की मीडिया समेत उनसे मिलने वालों की भीड़ लग रही थी। देखते ही देखते वह पूरे देश में सुर्खियों में आग गए।

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