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अन्तर्राष्ट्रीय

स्वतंत्र अभिव्यक्ति नहीं है धार्मिक हिंसा, स्वीकार्य नहीं: पकिस्तान में चर्च तोड़े जाने पर US खफा

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US angry over church vandalised in Pakistan

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इस्लामाबाद/वाशिंगटन। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फैजलाबाद शहर में जरानवाला इलाके में कल बुधवार को कुरान की बेअदबी करने के नाम पर पांच चर्च तोड़े गए। इस घटना के सामने आने पर अमेरिका ने चिंता जताई और हमलों की जांच करने का आग्रह किया।

हिंसा अभिव्यक्ति का रूप नहीं

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि हम इस बात से बहुत चितिंत हैं कि पाकिस्तान में कुरान के अपमान के जवाब में चर्चों और घरों को निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि अमेरिका स्वतंत्र अभिव्यक्ति का समर्थन करता है, लेकिन हिंसा या हिंसा की धमकी को कभी भी अभिव्यक्ति के रूप में स्वीकार्य नहीं कर सकते। पटेल ने पाकिस्तान के अधिकारियों से इन घटनाओं की जांच करने और लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया।

यह है मामला

गौरतलब है, पाकिस्तान में धर्म के नाम पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार कोई नई बात नहीं है। यहां अक्सर ईशनिंदा के नाम पर हिंसा जैसे मामले सामने आते रहते हैं। ऐसा ही कुछ बुधवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फैजलाबाद शहर में जरानवाला इलाके में सामने आया।

यहां भीड़ ने कथित तौर पर कुरान की बेअदबी करने के नाम पर पांच चर्च तोड़ डाले। इतना ही नहीं, चर्च के आस-पास रहने वाले लोगों के घरों को भी जला दिए उनके साथ मारपीट की और लूटा भी। इस दौरान मौके पर पुलिस भी मौजूद थी, जो तमाशबीन बनी रही। बाद में, स्थिति को नियंत्रित करने और चमरा मंडी जरनवाला में रहने वाले ईसाई समुदाय की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान रेंजर्स को बुलाया गया है।

कुरान का अपमान करने का आरोप

जानकारी के मुताबिक, भीड़ ने पहले आरोप लगाया कि चर्च इस्लाम विरोधी बातें करते हैं, फिर आरोप लगाया कि कुरान का अपमान किया गया है। बाद में इस्लाम के साथ बेअदबी का आरोप लगाते हुए भीड़ ने पेट्रोल बम और पत्थर मार-मारकर पांच चर्च को तबाह कर दिया।

वहीं, भीड़ इतने पर ही नहीं रुकी। हमला करने वाले लोगों ने वहां रहने वाले ईसाई लोगों के घरों में भी पेट्रोल बम फेंके, उनके साथ लूटपाट की और घरों में तोड़फोड़ की। इस दौरान किसी ने भी विरोध की कोशिश की, तो उसे लाठी, डंडे, लात-घूंसे से बुरी तरह पीटा गया।

इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इनमें लोग चर्चों को बेअदबी का ठिकाना बताते हुए उन्हें जलाने की बात कर रहे हैं। इतना ही नहीं, कई लोग चर्च के लोगों को मारने और जिंदा जलाने की बात भी कर रहे हैं। वायरल वीडियो में यह भी दिख रहा है कि मौके पर कई पुलिसकर्मी मौजूद थे,  जो वहां खड़े होकर बस देख रहे थे।

पाकिस्तान रेंजर्स को बुलाया गया

फैसलाबाद के असिस्टेंट कमिश्नर ने पाकिस्तान रेंजर्स को हालात को काबू में लाने के लिए बुलाया है। पंजाब गृह विभाग को लिए एक पत्र में उन्होंने कहा कि इलाके में पुलिस के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, कानून-व्यवस्था की स्थिति अभी भी बहुत संवेदनशील और कमजोर है। ऐसे में आपसे अनुरोध है कि जरानवाला तहसील फैसलाबाद में कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रेंजर्स की कम से कम दो कंपनियां भेजें। पंजाब पुलिस प्रमुख उस्मान अनवर ने कहा कि पुलिस प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत कर रही है और इलाके की घेराबंदी कर दी गई है।

चर्च ऑफ पाकिस्तान के प्रमुख बिशप आजाद मार्शल ने कहा, उसके बाद कुछ कहने की हिम्मत नहीं बचती है। इस खौफनाक घटना को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। चर्च जलाए जा रहे हैं। बाइबिल के टुकड़े किए गए और कुरान के अपमान का झूठा आरोप लगाकर ईसाइयों को प्रताड़ित किया जा रहा है।

भाई-बहन पर आरोप

जरनवाला सिटी पुलिस स्टेशन के अधिकारी आसिफ अली बताया कि मुहम्मद अफजल और चमरा मंडी के चार अन्य मुसलमानों ने राजा अमीर मसीह और उनकी बहन राकी मसीह पर कुरान का अपमान करने और पैगंबर के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया था।

पुलिस ने भाई और बहन दोनों के खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295-सी और 295-बी के तहत मामला भी दर्ज किया और उनकी गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम गठित की है। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस ने आरोपी के घर को सुरक्षित कर लिया है।  अधिकारियों ने कहा कि राजा अमीर मसीह सहित पूरा परिवार फरार है। और चर्चों में तोड़फोड़ के लिए अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।

वहीं, अंतरिम प्रधान मंत्री अनवर उल हक काकर ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि कानून का उल्लंघन करने वालों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सभी दोषियों को पकड़ने के लिए कहा गया है।

23 से सिर्फ 3 फीसदी रह गए अल्पसंख्यक

ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान के प्रमुख नवीद वाल्टर ने कहा, सरकार, न्यायालय और पुलिस से न्याय और कार्रवाई की मांग करते हैं। अल्पसंख्यको को तुरंत सुरक्षा दी जाए और उन्हें आश्वस्त किया जाए कि एक दिन पहले उन्होंने जिस देश का स्वतंत्रता दिवस का जश्न पूरे जोश से मनाया, वह उनको अपना मानता है। वाल्टर ने कहा, 1947 में आजादी के बाद से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 फीसदी से घटकर 3 फीसदी हो गई है। यह सोचने का विषय है, आखिर ऐसा क्यों हुआ।

संविधान में धार्मिक भेदभाव के बीज

पाकिस्तान में धार्मिक जातीय अल्पसंख्यकों पर अत्याचार असल में वहां की राजव्यवस्था का अंग है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जब 1973 में संविधान बना, तो इसके अनुच्छेद 2 में कहा गया कि इस्लाम एक राज्य धर्म होगा। इसके बाद अनुच्छेद 41(2) में यह घोषित किया गया है कि पाकिस्तान का राष्ट्रपति सिर्फ मुस्लिम होगा।

वहीं, अनुच्छेद 91 में कहा गया कि प्रधानमंत्री मुस्लिम ही होगा। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, बल्कि 1980 के दशक पाकिस्तान के संविधान में कई संशोधन किए गए, इसी दौरान बेअदबी कानून लाया गया, जिसकी वजह से अल्पसंख्यक समुदाय के लाखों लोग या तो मारे गए, या मुस्लिम बन गए या जेलों में सड़ रहे हैं।

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अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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