उत्तर प्रदेश
सपा सांसद शफीकुर्रहमान ने कहा- लड़कियां अगर बेपर्दा घूमेंगी तो आवारगी बढ़ेगी
नई दिल्ली। अक्सर विवादित बयान देने वाले सपा सांसद शफीकुर्रहमान (Shafiqur Rahman) ने हिजाब को लेकर फिर विवादित बयान दिया है। उनका कहना है कि लड़कियां अगर बेपर्दा घूमेंगी तो आवारगी बढ़ेगी। उन्होंने कहा, ‘हिजाब हटने से हालात बिगड़ते हैं और आवारगी बढ़ती है। हिजाब पर बैन लगता है तो न सिर्फ इस्लाम को बल्कि समाज को भी नुकसान होगा। हमें उम्मीद है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सही फैसला करेगा।” उन्होंने भाजपा पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को बंटा हुआ फैसला सुनाया।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दीं, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने उन्हें स्वीकार किया। न्यायमूर्ति गुप्ता ने फैसला सुनाते हुए कहा इस मामले में मतभेद हैं। पीठ ने खंडित फैसले के मद्देनजर निर्देश दिया कि इन याचिकाओं को एक बड़ी पीठ के गठन के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाए।
बयानों के लेकर सुर्खियों में रहते हैं सपा सांसद
इससे पहले सांसद शफीकुर्रहमान (Shafiqur Rahman) ने विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर कहा था कि औलाद इंसान नहीं कुदरत पैदा करती है। बर्क ने कहा था, ‘औलाद पैदा करने का ताल्लुक इंसान से नहीं कुदरत और अल्लाह से है। अल्लाह-ताला जब किसी बच्चे को पैदा करने का इरादा करता है तो उसके साथ ही उसके खाने का इंतजाम भी करता है।”
PFI को बताया था मुसलमानों का मसीहा
शफीकुर्रहमान (Shafiqur Rahman) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को लेकर कहा था कि यह एक ऐस संस्था है, जिसपर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) छापेमारी कर जुल्म ढा रही है। उहोंने पीएफआई के खिलाफ हुई कार्रवाई का विरोध करते हुए पूछा था कि आखिर उनका जुर्म क्या है? इतना ही नहीं, उन्होंने हाल ही में प्रतिबंधित किए गए इस संगठन को मुसलमानों का मसीहा करार दिया था।
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उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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