Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

PoK में आतंकी की गोली मारकर हत्या, लगातार हो रही हत्‍याएं ISI के लिए झटका

Published

on

Lashkar-e-Taiba terrorist Abu Qasim shot dead inside mosque in PoK

Loading

इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर (PoK) के एक मस्जिद में लश्‍कर-ए-तैयबा के आतंकी अबु कासिम की हत्‍या कर दी गई। PoK के रावलकोट में अल-कुदुस मस्जिद के अंदर कासिम की गोली मारकर की गई हत्‍या रहस्‍य बनी हुई है। शुक्रवार की नमाज के दौरान नजदीक से गोली मारकर हुई यह हत्‍या पाकिस्‍तान की इंटेलीजेंस एजेंसी ISI के लिए बड़ा झटका है।

कासिम, जिसका असली नाम रियाज अहमद है, भारत के राजौरी में इस साल जनवरी में हुए आतंकी हमले में वॉन्‍टेड था। राजौरी के ढांगरी गांव में आतंकवादियों की अंधाधुंध गोलीबारी में कम से कम सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। सवाल उठता है कि एक के बाद एक हो रही इन हत्‍याओं के पीछे आखिर कौन है।

घरेलू आतंकियों ने उतारा मौत के घाट

सूत्रों की मानें तो कासिम की हत्या में पाकिस्तान के घरेलू आतंकवादियों की भूमिका है। यह पिछले चार महीने में इस तरह का तीसरा वाकया है जिसमें किसी आतंकी को ऐसे मौत के घाट उतारा गया है। मारे गए सारे आतंकी लश्‍कर सरगना हाफिज सईद के करीबी थे।

कासिम से पहले लश्कर कमांडर खालिद सैफुल्ला 11 अगस्त ढेर कर दिया गया था। लश्कर कमांडर सलाम भुट्टावी, जो 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों का ट्रेनर भी था, उसकी हत्‍या भी रहस्‍य बनी हुई है। भुट्टावी को पाकिस्तान की जेल में रहस्यमय तरीके से दिल का दौरा आ गया था। पिछले एक साल में करीब ऐसी 10 हत्याएं हुई हैं जिनमें से अधिकांश पाकिस्तान में मारे गए हैं।

ISI के लिए बड़ा झटका

शुक्रवार को कासिम की हत्या ISI की कश्मीर की योजनाओं के लिए एक बड़ा झटका है। कासिम ने कश्मीरी ने घाटी में राजौरी और पुंछ इलाकों में भर्तियों के साथ खुद को एक ‘लॉन्चिंग कमांडर’ के रूप में स्थापित किया था।

पाकिस्तानी मीडिया ने अबू कासिम की मौत को ‘इस्लामिक गुरिल्ला टारगेटेड किलिंग’ करार दिया है। स्थानीय मीडिया ने पुलिस के हवाले से कहा है कि कासिम को हेलमेट पहने हमलावरों ने चार गोलियां मारीं।

कासिम मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के सुरनकोट इलाके का रहने वाला था। साल 1999 में सीमा पार से घुसपैठ कर आया था। एक खुफिया अधिकारी की मानें तो उसे सीमावर्ती जिलों पुंछ और राजौरी में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने का मास्‍टरमाइंड माना जाता है।

जेहाद के लिए युवाओं को भड़काता

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्‍म करने के बाद से, ISI को आतंकियों की भर्ती में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, अबू कासिम ने लॉन्चपैड्स को सक्रिय रखा था।

वह स्थानीय युवाओं को जेहाद के बारे में ब्रेनवॉश करते हुए उन्हें ISIS के पेरोल पर लाता रहा। पिछले तीन सालों में कासिम और उसके साथियों की वजह से मनशेरा और मुजफ्फराबाद समेत पीओके के तीन-चार इलाकों में आतंकी कैंप जारी हैं।

Continue Reading

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

Published

on

Loading

नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Continue Reading

Trending