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आध्यात्म

उत्तरखंड में मनाया जाता है हनुमान ध्वज यात्रा का उत्सव, उमड़ती है भक्तों की भीड़

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हिंदू मान्यताओं के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा को श्री राम भक्त भगवान हनुमान जी का जन्म हुआ था।  जन्मोत्सव में संकट मोचन की आराधना करने का विधान है। माना जाता है कि आज के दिन हनुमान जी की पूजा करने से तमाम तरह की बाधाओं से छुटकारा मिल जाता है।

हनुमान जन्मोत्सव पर हर वर्ष उत्‍तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हनुमान ध्वज यात्रा का खास उत्सव होता है। इस उत्सव की शुरुआत चैत्र शुक्ल पक्ष यानि चैत्र नवरात्र के पहले दिन से शुरू हो जाती है। ध्वज पर श्रद्धालु लाल कपड़े में श्रीफल बांधते हैं। इसे मनोकामना श्रीफल भी कहते हैं। श्रीफल बांधने वालों की भारी भीड़ उमड़ती है।

हनुमान और गणेश की पौराणिक प्रतिमाएं

उत्तरकाशी विश्वनाथ चौक के निकट हनुमान मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान और गणेश की पौराणिक प्रतिमाएं हैं। यह दोनों प्रतिमाएं पहले हनुमान चौक पर स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे थी।

1960 में उत्तरकाशी जिले का गठन हुआ। जिसके बाद हनुमान चौक के आसपास आबादी बढऩे लगी। फिर विश्वनाथ चौक के निकट हनुमान मंदिर बनाकर दोनों पौराणिक प्रतिमाओं को स्थापित किया गया। फिर 1969 में हनुमान की एक बड़ी मूर्ति इसी मंदिर में स्थापित की गई।

निरंतर चली आ रही ध्‍वज यात्रा

1982 में हनुमान ध्वज महायात्रा का शुभारंभ किया गया। जो निरंतर चली आ रही है। हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी शिव प्रसाद भट्ट कहते हैं कि चैत्र शुक्ल पक्ष से निरंतर हनुमान मंदिर में कार्यक्रम हो रहे हैं। जिसमें हिंदू नव वर्ष पर प्रभात फेरी, फिर राम नवमी महोत्सव, राम कथा का आयोजन हुआ है। हनुमान जन्मोत्सव पर हनुमान ध्वज शोभा यात्रा, हनुमान चरित्र जन्म लीला गाथा, शंख ध्वनि विस्तार प्रतियोगिता का आयोजन होगा।

उन्होंने कहा कि जो पौराणिक प्रतिमा है उसमें हनुमान जी आशीर्वाद स्वरूप में खड़े हैं तथा दायें पाव पर बेड़ी बंधी है। जिसको लेकर मान्यता है कि यह बेड़ी अयोध्या के निवासियों ने तब बांधी थी, जब हनुमान जी अयोध्या छोड़कर दूसरे स्थान के लिए जा रहे थे।

मुख्य पुजारी शिव प्रसाद भट्ट ने कहा कि हनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। इसलिए हनुमान जी अभी अपने भक्तों की बीच हैं और भक्तों के तमाम कष्ट निवारते हैं। उत्तरकाशी में हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर जो भी भक्त हनुमान ध्वज पर श्रीफल बांधता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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