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अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान: पूर्व PM नवाज शरीफ की देश वापसी का रास्ता साफ, विधेयक संसद से पारित

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The way for the return of former Pakistan PM Nawaz Sharif is clear

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इस्लामाबाद। पाकिस्तानी संसद ने एक विधेयक पारित किया है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति जीवनभर के लिए सदन का सदस्य बनने के अयोग्य नहीं होगा। विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की देश वापसी तथा आगामी चुनावों में उनकी भागीदारी का रास्ता साफ करने की पहल है।

गौरतलब है कि नवाज (73) को वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने अयोग्य घोषित कर दिया था। अदालत के फैसले के बाद वह जीवनभर सांसद बनने के लिए अयोग्य हो गए थे। नवाज इलाज के लिए नवंबर 2019 से लंदन में रह रहे हैं। एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने बड़े भाई नवाज शरीफ से स्वदेश लौटने व रिकॉर्ड चौथी बार देश का प्रधानमंत्री बनने की अपील की थी।

अधिकतम पांच वर्ष की अयोग्यता का प्रावधान

समाचार पत्र डॉन के अनुसार, विधेयक में चुनाव अधिनियम 2017 की धारा-232 (योग्यता व अयोग्यता) में संशोधन का प्रस्ताव शामिल है। इसके अनुसार, संसद का सदस्य बनने की योग्यता अनुच्छेद 62, 63 के अनुसार तय होगी। अदालत के फैसले के माध्यम से अयोग्य ठहराए गए व्यक्ति को फैसले के दिन से अधिकतम पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा।

नवाज शरीफ का पार्टी-सरकार में अहम किरदार

शहबाज शरीफ ने 2018 में पार्टी की बागडोर अपने हाथों में ली थी क्योंकि उनके बड़े भाई नवाज शरीफ को सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य घोषित कर दिया गया था और बाद में उन्हें अध्यक्ष के रूप में पार्टी का नेतृत्व करने से भी रोक दिया था।

हालांकि, पार्टी सूत्रों की मानें तो आज भी फैसले नवाज शरीफ की सहमति से ही होते हैं। नवाज आज भी सरकार में शीर्ष नियुक्तियां करते हैं। इसी वजह से पिछले साल सत्ता में आने के बाद इस्माइल की जगह इशाक को वित्त मंत्री बनाया गया था।

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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