Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

US के खतरनाक क्लस्टर बमों से रूस पर भारी पड़ रहा यूक्रेन, कई देशों में है प्रतिबंध

Published

on

Ukraine is overshadowed by US dangerous cluster bombs

Loading

वॉशिंगटन। यूक्रेन ने अमेरिका से मिले क्लस्टर बमों का इस्तेमाल रूस की सेना के खिलाफ शुरू कर दिया है। अमेरिका ने एक बयान में कहा है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन इन क्लस्टर बमों का इस्तेमाल काफी प्रभावी तरीके से कर रहा है। उल्लेखनीय है कि दुनियाभर के 100 देशों में इन क्लस्टर बमों का इस्तेमाल प्रतिबंधित है।

बता दें कि अमेरिका में भी यूक्रेन को क्लस्टर बम देने को लेकर मतभेद थे और कई महीने तक इस बात को लेकर चर्चा होती रही थी। आखिरकार देश में लंबी बहस के बाद अमेरिका यूक्रेन को क्लस्टर बम देने के लिए तैयार हो गया।

इस शर्त पर मिले यूक्रेन को क्लस्टर बम

बता दें कि यूक्रेन ने अमेरिका से वादा किया था कि उनकी सेना सिर्फ अपनी रक्षा के लिए ही क्लस्टर बमों का इस्तेमाल करेगी। साथ ही रूस की सेना को तितर-बितर करने, रक्षा पंक्ति को भेदने के लिए ही क्लस्टर बमों का इस्तेमाल करेगी। रूस और यूक्रेन दोनों ही देश एक दूसरे पर क्लस्टर बमों के इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं।

100 से ज्यादा देशों में है प्रतिबंध

गौरतलब है कि जिन क्लस्टर बमों का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में किया जा रहा है, वह 100 से ज्यादा देशों में प्रतिबंधित हैं। बता दें कि क्लस्टर बमों में बहुत सारे छोटे-छोटे बम हवा में ही मुख्य क्लस्टर बम से निकलकर बिखर जाते हैं।

इन बमों से भारी नुकसान होता है लेकिन कई बार ये क्लस्टर बम फटते नहीं हैं और यह लंबे समय तक ऐसे ही पड़े रहते हैं, जिससे सालों बाद इनके फटने का डर बना रहता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इनका खूब इस्तेमाल हुआ था लेकिन अब इनके इस्तेमाल पर रोक है।

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

Published

on

Loading

नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Continue Reading

Trending