Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

यूक्रेन का रूस पर एक बार फिर ड्रोन अटैक, मास्को की दो इमारतों को बनाया निशाना

Published

on

Ukraine drone attack on Russia

Loading

मास्को। लम्बे समय से चल रहे रूस-यूक्रेन जंग लगातार तेज होती जा रही है। रूसी हमलों के बाद अब यूक्रेन भी जवाबी कार्रवाई करने लगा है। यूक्रेन ने बीती रात एक बार फिर रूस की राजधानी मास्को पर ड्रोन से हमला किया है। यूक्रेनी ड्रोन ने मास्को की दो इमारतों को निशाना बनाया है।

हमले से अफरातफरी मची

आधी रात यूक्रेन द्वारा किए गए इस हमले से अफरातफरी मची है। मास्को के मेयर सर्गेई ने TASS समाचार एजेंसी को बताया, यूक्रेनी ड्रोन हमले में मास्को में दो इमारतें मामूली रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ है। हमले में दो ड्रोन शामिल थे और बाद में मास्को के पश्चिम में इन दोनों को मार गिराया गया।

टैगान्रोग में S-200 से हमला, 15 घायल

रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इससे पहले कीव ने टैगान्रोग शहर में भी आतंकवादी हमला किया, जिससे कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई। दक्षिण रूस के शहर टैगान्रोग में हुए विस्फोट में पंद्रह लोग घायल हो गए। हमला एस-200 मिसाइल से किया गया है।

बता दें कि मास्को पर आखिरी ड्रोन हमला 24 जुलाई को हुआ था। रूसी रक्षा मंत्रालय ने उस समय कहा था कि दो लोग दब गए और कुछ इमारतें दुर्घटनाग्रस्त हो गईं।

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

Published

on

Loading

नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Continue Reading

Trending