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Uttarakhand Election Result 2022: रुझानों मे बीजेपी को मिल रही बहुमत, पुष्कर धामी फिर आगे, हरीश रावत पिछड़े

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उत्तराखंड की जनता ने अगले पांच सालों के लिए अपना प्रथिनिधित्व करने के लिए किस पार्टी को चुना है इसका पता आज चल जाएगा। राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर एक चरण में 14 फरवरी को हुए मतदान के लिए वोटों की गिनती सुबह आठ बजे शुरू हो गई है। राजनीतिक दलों ने ईवीएम में बंद चुनावी नतीजों के सामने आने के बाद बनने वाली संभावित स्थिति के मद्देनजर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। राज्य में 65 फीसदी से अधिक लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। बता दें कि बीत दिन पहले आए एग्जिट पोल में भाजपा या कांग्रेस को उत्तराखंड में बहुमत मिलने का अनुमान जताया गया है लेकिन ज्यादातर में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच कांटे की टक्कर या त्रिशंकु विधानसभा की संभावना व्यक्त की है।

पूर्व सीएम हरीश रावत के वोटों में अंतर बढ़ता जा रहा है। लालकुआं विधानसभा में मोहन बेस्ट 7085 वोट से आगे है। हरीश रावत को तीसरे राउंड के बाद 7639 और मोहन बिस्ट को 14724 वोट मिले है। खास बात यह है कि उत्तराखंड में मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट पर दोबारा कांग्रेस के भुवन सिंह कापड़ी से आगे आ गए हैं।

उत्तरकाशी : गंगोत्री-यमुनोत्री भाजपा आगे तो पुरोलो में कांग्रेस आगे

उत्तरकाशी :
गंगोत्री में बीजेपी 171 वोट से आगे।
यमुनोत्री में निर्दलीय प्रत्याशी 232  से आगे
पुरोला में कांग्रेस 1839 से आगे

देहरादून: जानिए कौन सी विधानसभा सीट से कौन आगे

देहरादून जिला 10 सीटें
चकराता- कांग्रेस आगे
विकासनगर- भाजपा आगे
सहसपुर- कांग्रेस आगे
धर्मपुर- कांग्रेस आगे
रायपुर -भाजपा आगे
राजपुर- भाजपा आगे
कैंट- भाजपा आगे
मसूरी- भाजपा आगे
डोईवाला- भाजपा आगे

पिथौरागढ़ विधानसभा प्रथम राउंड ईवीएम में कांग्रेस आगे हे

पिथौरागढ़ विधानसभा प्रथम राउंड ईवीएम
भाजपा 2661
कांग्रेस 2919
कांग्रेस 258 से वोटों से आगे

अल्मोड़ा की छह विधानसभा प्रथम चरण में भाजपा आगे

अल्मोड़ा की छह विधान सभा प्रथम चरण
अल्मोड़ा-भाजपा 170 वोट से आगे
सोमेश्वर-भाजपा 885 वोट से आगे
जागेश्वर-भाजपा 721 वोट से आगे
द्वाराहाट-भाजपा550 वोट से आगे
सल्ट-भाजपा 175 वोट से आगे
रानीखेत-256 वोट से भाजपा आगे

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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