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उत्तराखंड

उत्तराखंड: बेटी के शादी की ख़ुशी में नाच रहा था पिता, अचानक गिरा; मौत

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अल्मोड़ा। एक पिता के लिए सबसे खुशी का मौका तब होता है जब उसकी बेटी के हाथ पीले होते है लेकिन अगर हाथ पीले होने के चंद घंटे पहले ही पिता की मौत हो जाय तो इसे नियति के क्रूर मजाक के सिवा और क्या कहेंगे।

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ऐसा ही हुआ देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में, जहां बिटिया की शादी के मौके पर नाचते-नाचते पिता की मौत हो गई। विवाह समारोह से एक रात पहले मेहंदी कार्यक्रम के दौरान दुल्हन के पिता नाचते-नाचते गिर गए, अस्पताल लाने पर डाक्टरों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया।

अल्मोड़ा में ही मेहंदी रस्म की गई

जानकारी के मुताबिक रविवार को मुख्यालय निवासी एक युवती का विवाह हल्द्वानी में किसी बैंकेट हाल में होना था। दुल्हन पक्ष के परिजन हल्द्वानी जाकर ही विवाह करने वाले थे। इससे पूर्व युवती की मेहंदी, हल्दी समेत सभी रस्म अल्मोड़ा में ही थी। बीते शनिवार की रात अल्मोड़ा में ही मेहंदी रस्म की गई। इस दौरान पार्टी में काफी संख्या में लोग जुटे।

देर रात तक नाच-गाना चलता रहा। दुल्हन के पिता ने भी जमकर डांस किया। नाच करते-करते पिता अचानक डांस फ्लोर पर ही गिर गए। इससे विवाह समारोह में हड़कंप मच गया। स्वजन उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरा

मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरा। उधर, विवाह की पूरी तैयारी कर चुके स्वजन व मामा, दुल्हन को लेकर हल्द्वानी चले गए। रविवार को शादी होनी थी, इस दौरान हल्द्वानी में मामा ने ही दुल्हन का कन्यादान किया। मृत्यु के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी दी गई।

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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