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क्या देश में आएगी कोरोना की चौथी लहर? दैनिक मामलों में लगातार इज़ाफ़े ने बढ़ाई चिंता

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कोरोना वायरस के कहर से दुनिया खौफ में है। इस वायरस के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं, जिसने सभी की चिंता बढ़ा दी है। पिछले दो सालों से कोरोना के लगातार नए-नए वैरिएंट्स सामने आते जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब एक नया XE वैरिएंट पाया गया है, जिसके दो मामले महाराष्ट्र और गुजरात में पाए गए हैं। ओमीक्रोन वैरिएंट का BA.2 सब वैरिएंट भी इस समय दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है। इस बीच XE वैरिएंट के मिलने से दुनिया की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। यूरोपीय और एशियाई देशों में कोरोना वायरस की चौथी लहर का कहर जारी है। कई देश ओमीक्रोन और इसके सब वेरिएंट से कराह रहे हैं। भारत में कोरोना की चौथी लहर को लेकर चर्चा तेज हो गई है। हालांकि, भारत में वैक्सीनेशन तेजी से किया जा रहा है। लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि कोरोना के नए वैरिएंट पर भारतीय वैक्सीन कितनी कारगर होगी? इस बीच एक सवाल सभी के मन में पनप रहा है कि क्या देश में चौथी लहर ने दस्तख दे दी है ?

देश में एक बार फिर कोविड -19 के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं, जिसने स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ा दी हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पिछले 24 घंटे में 2,183 नए कोरोनावायरस संक्रमण के केस सामने आए हैं। 17 अप्रैल को कुल 1,150 केस पाए गए थे। ऐसे में ये उछाल लगभग 90 प्रतिशत का है। हाल के दिनों में दिल्ली, यूपी और हरियाणा में कोरोना के मामलों में तेजी आई है। केस लगातार बढ़ने के बाद कई एक्सपर्ट चौथी लहर की आशंका भी जता रहे हैं। चौथी लहर को लेकर IIT कानपुर ने एक स्टडी की थी, जिसमें बताया गया था कि चौथी लहर कब आ सकती है।

कब आ सकती है चौथी लहर?

उनकी रिसर्च के मुताबिक, भारत में COVID-19 महामारी की संभावित चौथी लहर 22 जून 2022 के आसपास शुरू हो सकती है। इस लहर का पीक अगस्त के आखिरी पर चरम पर हो सकता है। एक रिव्यू के मुताबिक, चौथी लहर का पता लगाने के लिए सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया गया था, जिसमें पाया गया कि संभावित नई लहर 4 महीने तक चलेगी। रिसर्च में कहा गया था, स्टडी का डेटा इस बात की ओर इशारा करता है कि भारत में कोविड -19 की चौथी लहर प्रारंभिक डेटा उपलब्ध होने की तारीख से 936 दिनों के बाद आएगी। प्रारंभिक डेटा उपलब्धता की तारीख 30 जनवरी 2020 है। इसलिए चौथी लहर की संभावित तारीख 22 जून 2022 से शुरू हो सकती है, 23 अगस्त के आसपास पीक रहेगा और 24 अक्टूबर 2022 तक लहर खत्म हो सकती है।

इस साल जुलाई में COVID-19 की चौथी लहर की भविष्यवाणी करने वाले IIT-कानपुर की स्टडी पर नीति आयोग ने कहा था, वह इस तरह की स्टडी को बड़े सम्मान के साथ देखती है, लेकिन अभी यह जांचना बाकी है कि इस स्पेशल रिपोर्ट का वैज्ञानिक मूल्य है या नहीं।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक XE हाइब्रिड स्ट्रेन का मेडिकली रूप से कोई भी इस वैरिएंट के बीच अंतर नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि नया सब-वैरिएंट XE, ओमिक्रॉन के सभी लक्षणों के ही समान है। यह आमतौर पर हल्का है और बहुत गंभीर भी नहीं है। यह ध्यान रखना चाहिए कि XE वैरिएंट लगभग 3 महीने से मौजूद है और अभी तक ओमिक्रॉन की तरह पूरी दुनिया में नहीं फैला है। इसलिए कहा जा सकता है कि यह कोई अलग वैरिएंट नहीं है, बल्कि ओमिक्रॉन के ही समान है। WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन (Scientist Soumya Swaminathan) के मुताबिक, XE वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट की तरह खतरनाक नहीं होगा। भारत में अधिकांश लोग वैक्सीनेटेड हो चुके हैं। शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, यह कहा जा रहा है कि यह वैरिएंट अन्य वैरिएंट से 10 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलता है। लेकिन अभी इस वैरिएंट पर अधिक स्टडी की जा रही है। अभी इससे संक्रमित मरीजों के गंभीर मामले सामने नहीं आए हैं।

चीन में मचा है हाहाकार

पिछले महीने ओमिक्रोन के सब-वेरिएंट BA2 के चलते दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में इजाफा देखा गया। इसको देखते हुए सभी लोग चिंतित हैं। वहीं कोरोना पैदा करने वाला देश चीन एक बार फिर इस वायरस से जूझ रहा है। यहां मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और हाहाकार मचा हुआ है। चीन में रोज़ाना 20 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं। यहां सोमवार को 23 हज़ार चार दो साठ केस मिले। गौर करने वाली बात है कि इन मामलों में से 96 फ़ीसदी सिर्फ शंघाई में मिले हैं। देश के बिज़नेस हब शंघाई में लॉकडाउन लगा हुआ है। इन्हीं कारणों को देखते हुए चिंता बढ़ गयी है कि भारत में भी जून तक कहीं चौथी लहर का आगमन न हो जाए। ऐसे में सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी है।

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World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने रचा इतिहास, 180 से ज्यादा देशों के लोग हुए शामिल

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बेंगलुरु। विश्व ध्यान दिवस पर आयोजित World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने इतिहास रच दिया है। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने ऑन लाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से दुनिया भर के 85 लाख से ज्यादा लोगों को सामूहिक ध्यान कराया। इस कार्यक्रम ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन में जगह बनाते हुए पिछले सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने सामूहिक ध्यान के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ जोड़ा।

180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए

दरअसल, पूरी दुनिया ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के तौर पर मनाया। इसी क्रम में यह कार्यक्रम आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए और इसके माध्यम से ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को प्रदर्शित किया। श्री श्री रविशंकर संयुक्त राष्ट्र में विश्व ध्यान दिवस के उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र में उद्घाटन समारोह से शुरू होकर अपने समापन तक यह कार्यक्रम दुनिया के महाद्वीपों में ध्यान की लहर फैलाता चला गया।

ये रिकॉर्ड टूटे

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

YouTube पर ध्यान के लाइव स्ट्रीम के सबसे ज़्यादा दर्शक

एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स

⁠एक दिवसीय ध्यान में भारत के सभी राज्यों से अधिकतम भागीदारी
एक दिवसीय ध्यान में अधिकतम Nationalities ने हिस्सा लिया

 

 

 

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