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प्रादेशिक

कोरोना काल में किसानों का सहारा बनी योगी सरकार, 7140.104 करोड़ रु का किया भुगतान

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लखनऊ। प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी के चलते किसानों के हित का विशेष ध्यान रखा है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ऐसे समय में आई जब किसानों की रबी की फसल पक रही थी। एक तरफ किसानों को खड़ी फसल की कटाई, मड़ाई भी करनी थी दूसरी तरफ कोरोना रोग से बचाव भी करना था। किसानों को कटाई, मड़ाई हेतु कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए सरकार ने पूरी छूट दी थी, जिसका परिणाम रहा कि किसानों ने कोरोना से सुरक्षित रहते हुए अपनी फसल काटकर घर लाया। प्रदेश सरकार किसानों को किसी प्रकार की समस्या न आये, इसका विशेष ध्यान रखा है।

फसल कटने के बाद किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलें, इस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कोविड़ प्रोटोकाल का पालन करते हुए प्रदेश के सभी गेहूँ क्रय केन्द्रों को खोलने के निर्देश दिये। सभी क्रय केन्द्र प्रभारियों ने सरकार के आदेशों का पालन करते हुए किसानों के गेहूँ क्रय करते हुए, किसानों को उनकी फसल का निर्धारित समर्थन मूल्य का भुगतान करते हुए किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान कर रहे है।

प्रदेश में कोरोना महामारी को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार किसानों को रबी फसल की गेहूँ खरीद कोरोना प्रोटोकाल का अनुपालन करते हुए क्रय करा रही है। प्रदेश में 06 जून 2021 तक 9.93 लाख किसानों से लगभग 46 लाख मी0 टन गेहूँ क्रय किया गया है, जो गत वर्ष क्रय किये गये गेहूँ से काफी अधिक है। किसानों से क्रय किये गये गेहूँ का मूल्य 9009.094 करोड़ रूपये में से 7140.104 करोड़ रूपये किसानों को भुगतान कर दिया गया है, शेष का भुगतान किया जा रहा है। किसानों की फसल का सही मूल्य देते हुए प्रदेश सरकार उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत प्रदेश के किसानों को 2-2 हजार रूपये तीन किश्तों में वर्ष में 06 हजार रूपये दिये जाने की योजना संचालित है। इस धनराशि से किसान अपना खाद, बीज क्रय करते हुए खेती किसानी के लिए व्यय करते है। प्रदेश में लघु एवं सीमान्त कृषकों की संख्या काफी है, इसलिए ऐसे किसानों के लिए यह धनराशि संजीवनी का कार्य करती है। उन्हें किसी से ब्याज पर धनराशि उधार लेने की जरूरत नही पड़ती। सरकार की नीति है कि किसानों की आमदनी दोगुनी बढ़ाई जाए। उन्हें खाद, बीज, सिंचाई, कृषियन्त्र आदि की सुविधा दी जा रही है। देश के मा0 प्रधानमंत्री जी ने चालू वर्ष हेतु प्रदेश के लगभग 2.61 करोड़ किसानों के खातों में 5230 करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि एक दिन में डी0बी0टी0 के माध्यम से हस्तान्तरित करते हुए उन्हें सम्बल प्रदान किया है। प्रदेश में 24 फरवरी, 2019 से लागू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजनान्तर्गत मार्च 2021 तक 27,262 करोड़ रूपये की धनराशि किसानों के खातों में स्थानान्तरित की जा चुकी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने किसानों के हित में कई योजनायें संचालित किये है।

 

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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