आध्यात्म
पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्य उपासना का महापर्व छठ
पटना| सूर्योपासना और लोकआस्था के महापर्व छठ की कल्पना कर्णप्रिय और सुमधुर गीत के बिना नहीं की जा सकती। इन पारंपरिक गीतों के जरिए न केवल भगवान की अराधना की जाती है, बल्कि इन गीतों के जरिए कई संदेश भी देने की कोशिश की जाती है।
चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लेकर ऐसे तो कई गायक और गायिकाओं ने गीत गाए और लिखे हैं, परंतु चर्चित गायिका शारदा सिन्हा और अनुराधा पौडवाल के गीत आज भी घरों से लेकर छठ घाठों तक लोगों द्वारा सुने और गाए जाते हैं।
भगवान भास्कर की अराधना के छठ पर्व पर ‘पद्मश्री’ और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्घ शारदा सिन्हा द्वारा गाया गीत ‘हो दीनानाथ’ आज भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए इस व्यस्त शहरी जिंदगी से समय निकालकर लोगों को भी छठ को अपनाने की बात कही गई है।
इसके अलावा गायिका अनुराधा पौडवाल की आवाज में ‘मारबै रे सुगवा’ भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए सुग्गा (तोते) को चेतावनी दी गई है कि वह भगवान के प्रसाद चढ़ाने के पहले फल को चोंच न मारे, वरना उसे मारा जा सकता है। इस गीत में भगवान को सर्वश्रेष्ठ मानकर उनकी अराधना की गई है।
इसी तर्ज पर शरादा सिन्हा द्वारा गाया गीत, ‘केलवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंडराय’ भी काफी चर्चित रहा है। इस गीत के जरिए भी तोते को हिदायत दी जाती है कि अगर पवित्रता भंग की तो इसका बुरा फल मिलेगा।
वैसे, छठ के गीतों में संदेश भी छिपा हुआ है। छठ पर्व के गीतों में बेटियों को विशेष महत्व दिया गया है। छठ पूजा के गीतों में बेटियों का स्वागत करते हुए ईश्वर से उनके मंगल की गुहार लगाई गई है। ‘रूनकी धुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मईया’ के जरिए छठी मईया से सुंदर, सुशील बेटी और विद्वान दामाद की कामना की जाती है।
इसी तरह ‘पांच पुतुर अन्न, धन, लक्ष्मी धियवा मांगबो जरूर’ में छठी मईया से यह प्रार्थना की गई है कि पांच पुत्र, अन्न, धन, लक्ष्मी और वैभव के साथ एक धियवा (बेटी) जरूर दें।
इसी तरह कर्णप्रिय गीत ‘हे छठी मईया’ न केवल व्रतियों (परबैतिनों) में ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि ये भी बताता है कि इस पर्व में जात पात का फर्क मिट जाता है। इस गीत में यह भी बताया गया है कि कैसे छोटी मोटी गलतियों को छठी मईया नजरअंदाज कर देती हैं।
लोक गायिका देवी के गाए छठ गीतों के अलबम ‘कोसी के दीवाना’, बहंगी छूट जाई’ की काफी मांग है। गायक पवन सिंह, कल्लू, आकांक्षा राय के गाने भी लोग पसंद कर रहे हैं।
आध्यात्म
महाकुंभ 2025 : 7 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम त्रिवेणी में लगाई आस्था की डुबकी
प्रयागराज। कड़ाके की ठंड के बाद भी श्रद्धालुओं का जोश कम नहीं हो रहा है. मां गंगा, मां यमुना और अदृश्य मां सरस्वती के पवित्र संगम में श्रद्धा से ओत-प्रोत साधु-संतो, श्रद्धालुओं, कल्पवासियों, स्नानार्थियों और गृहस्थों का स्नान नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है. 11 जनवरी से 16 जनवरी के बीच महज 6 दिनों के अंदर अब तक 7 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा ली है. गुरुवार को ही 30 लाख से ज्यादा लोगों ने संगम में पवित्र स्नान कर पुण्य फल की प्राप्ति की. योगी सरकार का अनुमान है कि इस बार महाकुंभ में 45 करोड़ लोगों से ज्यादा लोग आने वाले हैं. महाकुंभ की शुरुआत में ही 7 करोड़ स्नानार्थियों की संख्या इसी ओर इशारा कर रही है.
महाकुंभ में देखने को मिल रही विविध संस्कृतियों की झलक
प्रयागराज में कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं / स्नानार्थियों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है. पूरे देश और दुनिया से पवित्र त्रिवेणी में श्रद्धा और आस्था के साथ डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु प्रतिदिन लाखों की संख्या में प्रयागराज पहुंच रहे हैं. गुरुवार को ही शाम 6 बजे तक प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 लाख से ज्यादा लोगों ने त्रिवेणी संगम में स्नान कर लिया. इसमें 10 लाख कल्पवासियों के साथ-साथ देश विदेश से आए श्रद्धालु एवं साधु-संत शामिल रहे. पूरे महाकुंभ मेला क्षेत्र में भक्तों का तांता लगा रहा. देश के विभिन्न प्रान्तो से आए स्नानार्थियों, श्रद्धालुओं और विश्व के अनेक देशों से आए श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में स्नान किया. पूरे देश की विविध संस्कृतियों की झलक महाकुम्भनगर में देखने को मिल रही है.
11 जनवरी से 16 जनवरी तक बना स्नानार्थियों का रिकॉर्ड
यदि अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या का विश्लेषण करें तो 11 जनवरी से लेकर 16 जनवरी तक अब तक 7 करोड़ से ज्यादा लोग संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. महाकुंभ से पहले 11 जनवरी को लगभग 45 लाख लोगों ने स्नान किया तो वहीं 12 जनवरी को 65 लाख लोगों के स्नान करने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ. इस तरह महाकुंभ से दो दिन पहले ही एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान का रिकॉर्ड दर्ज कर लिया. वहीं महाकुंभ के पहले दिन पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व पर 1.70 करोड़ लोगों ने स्नान कर रिकॉर्ड बनाया तो अगले दिन 14 जनवरी को मकर संक्रांति अमृत स्नान के अवसर पर 3.50 करोड़ लोगों ने संगम में श्रद्धा के साथ डुबकी लगाई. इस तरह, महाकुंभ के पहले दो दिनों में 5.20 करोड़ से ज्यादा लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई. इसके अलावा, 15 जनवरी को महाकुंभ के तीसरे दिन 40 लाख और 16 जनवरी को शाम 6 बजे तक 30 लाख लोगों ने संगम स्नान किया. इस तरह, स्नानार्थियों की संख्या ने 7 करोड़ की संख्या को पार कर लिया
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