प्रादेशिक
यूपी को दिलाई पहचान के संकट से मुक्ति, प्रदेश की नम्बर वन अर्थव्यवस्था बनाने की राह पर अग्रसर
गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि जो लोग मेरे परिवार को लेकर सवाल उठाते हैं, उनको मैं बताना चाहूंगा कि उनके लिए परिवार ही प्रदेश था। सारे संसाधनों व पदों की बंदरबांट परिवार तक ही सीमित थी। मेरे लिए प्रदेश की 25 करोड़ जनता ही मेरा परिवार है। हम उसी के कल्याण के लिए बिना भेदभाव के पूरी पारदर्शिता से सबके साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नारे को साकार कर रहे हैं। यही संविधान की मूल भावना भी है।
मुख्यमंत्री शनिवार शाम गोरखपुर में दूरदर्शन के कॉन्क्लेव में सवालों का जवाब दे रहे थे। बिना नाम लिए सपा पर।कटाक्ष करते हुए सीएम योगी ने कहा कि जिनकी सोच सिर्फ अपने परिवार, जाति व मजहब तक सिमटी थी, वह सबके साथ-सबके विकास का मर्म नहीं जान सकते हैं। इन लोगों ने माफियाओं के संरक्षण, आतंकियों की रहनुमाई करके यूपी के लोगों के सामने पहचान का संकट खड़ा कर दिया था। उस यूपी के सामने पहचान का संकट खड़ा हुआ जहां काशी, मथुरा, अयोध्या, गंगा, यमुना है। वह यूपी जो भगवान राम, श्रीकृष्ण, बुद्ध, महावीर, कबीर की धरती रही है। पांच साल में मैने यूपी के पहचान के संकट को खत्म कर दिया। अब लोग गर्व से कहते हैं कि मैं यूपी से हूं तो जवाब मिलता है कि जहां अयोध्या है, काशी है, मथुरा है और अंत में यह भी बोल पड़ते हैं कि ओहो योगी वाले यूपी से हो।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव द्वारा भगवा वस्त्र को लेकर जंग का रंग कहे जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर सीएम योगी ने कहा कि भिक्षु परंपरा के वस्त्र में जंग देखने वालों की दृष्टि कहां है, सोचकर आश्चर्य होता है। ऐसी सोचवालों ने प्रदेश के विकास में जो जंग लगाया था, जबकि हम ऐसे जंग की उखाड़ फेक रहे हैं। एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति ने देश को अपूरणीय क्षति पहुंचाई। तुष्टिकरण की राजनीति ने यूपी को दंगों की आग में झोंक दिया। प्रकृति व परमात्मा की असीम अनुकम्पा वाले जिस उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में नम्बर एक होने की क्षमता थी, वह छठवें नम्बर तक ही सिमट गई थी। पांच सालों के हम इसे दूसरे नम्बर पर ले आए हैं और अब पहले नम्बर की यात्रा शुरू हो चुकी है।
राजनीति में अपने आने के ध्येय के संबंध में पूछे जाने पर सीएम योगी ने कहा कि अपने पूज्य गुरुदेव (ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ) के आदेश पर मैं लोक कल्याण के लिए राजनीति में आया। शुरुआती दिनों में एक बार मेरा राजनीति से मोहभंग हुआ। बात गुरुदेव तक पहुंची तो उन्होंने मुझे बुलाया। कहा कि अगर राजनीति का मकसद सत्ता, पद और प्रभुता है तो मैं तुमसे सहमत हूं लेकिन मेरी समझ से राजनीति का मतलब लोक कल्याण है। राजनीति की चुनौतियों में ही लोक कल्याण के लिए अवसर मिलता है। मेरी जिज्ञासा फिर भी शांत नहीं हुई तो मैंने पूछा कि सन्यास का क्या मतलब है। उनका जवाब था सेवा। सेवा का उद्देश्य होता है अपने अहंकार की तिलांजलि। उनके इसी भाव को लेकर बिना रुके, बिना थके, बिना डिगे, बिना झुके, मौसम से बेपरवाह सांसद के रूप में और मुख्यमंत्री के रूप में मैंने अपना जीवन लोक कल्याण के पथ को समर्पित कर दिया। इस समर्पण का बदलाव भी लोगों को दिख रहा होगा।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2015-16 में एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने देश के मुख्यमंत्रियों के बारे में सर्वे किया था। उसमें यूपी के सीएम को सबसे निकम्मा बताया गया था। उसी पत्रिका के सर्वे में अब स्थिति ठीक उलट है। अब उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री देश में नम्बर वन है। 2017 के पहले केंद्र की योजनाओं में यूपी की गिनती 15वें नम्बर के बाद होती थी। जबकि अब यही प्रदेश चार दर्जन से अधिक योजनाओं में पहले स्थान पर है। सबका साथ, सबका विकास को ध्यान में रखकर हमनें ओडीओपी योजना शुरू की। बाद में योजना केंद्र में भी लागू कि गई। यह यूपी की विकास यात्रा और आने वाले भविष्य का सबूत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा, विकास और लोक कल्याण तथा सुशासन की पहली शर्त है। सत्ता संभालने के पहले दिन से ही माफिया और मच्छर के खिलाफ जो अभियान शुरू किया गया, उसके मूल में यही था। किसी भी राज्य का यह पहला चुनाव है जिसमें सुरक्षा मुद्दा है। कानून व्यवस्था हमारी प्राथमिकता है। इसके रास्ते में आने वाली हर बाधा को दूर किया गया है। उन्होंने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि राष्ट्रधर्म सर्वोपरि होता है। सम्मान सबकी आस्था का होना चाहिए। विवाद तब होता है जब कोई अपनी आस्था दूसरों पर थोपता है। ऐसा करने वालों से सख्ती से निपटा गया है। उन्होंने कहा कि यूपी में कोई भूख से नहीं मरता। हर वैश्विक महामारी में जितने लोग बीमारी से मरते हैं, उससे कई गुना भूख से मरते हैं। हमारी सरकार ने वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान न केवल मौतों को पूरी दुनिया मे न्यूनतम स्तर पर रखा बल्कि किसी की भी मौत भूख से नहीं होने दी।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ नगर के सेक्टर-2 स्थित मीडिया सेंटर के पास सोमवार को यूपी के पहले डबल डेकर बस रेस्तरां पंपकिन का उद्घाटन
महाकुम्भ नगर। यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन जारी है। ऐसे में महाकुंभ नगर के सेक्टर-2 स्थित मीडिया सेंटर के पास सोमवार को यूपी के पहले डबल डेकर बस रेस्तरां पंपकिन का उद्घाटन किया गया है। इस मौके पर बस रेस्तरां के संस्थापक का बयान भी सामने आया है। बस फूड कोर्ट के संस्थापक मनवीर गोदरा ने बताया है कि इसके ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर रेस्टोरेंट है, जहां एक साथ 25 लोग बैठकर शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन का आनंद ले सकते हैं।
उन्होंने बताया कि पंपकिन ब्रांड की लॉन्चिंग महाकुंभ मेले से की जा रही है और आने वाले समय में काशी, मथुरा, अयोध्या आदि धार्मिक स्थलों पर यह रेस्तरां शुरू किया जाएगा। इस रेस्तरां में भोजन की दर किफायती रखी गई है और यहां विशेष अवसर पर उपवास का खाना भी मिलेगा। बस के अंदर एवं बाहर लगी एलईडी स्क्रीन पर महाकुंभ से संबंधित फिल्मों का भी प्रदर्शन होगा।
महाकुंभ भारतीय संस्कृति का अद्वितीय पर्व
कुंभ मेला, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अद्वितीय पर्व है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है। यह पर्व विशेष रूप से प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध है, जहां हर बारह साल में विशेष ज्योतिषीय संयोगों के आधार पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं। यात्री ह्वेन त्सांग ने प्रयागराज के महाकुंभ का वर्णन किया, जो उस समय के धार्मिक आयोजन और सम्राट की दानशीलता को प्रदर्शित करता है। कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय समाज के सामूहिक आस्था, संघर्ष और एकता की अभिव्यक्ति भी है, जो हर बार इस अद्वितीय पर्व के माध्यम से दोबारा जीवित होती है।
महाकुंभ भारतीय संस्कृति का अद्वितीय पर्व
कुंभ मेला, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अद्वितीय पर्व है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है। यह पर्व विशेष रूप से प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध है, जहां हर बारह साल में विशेष ज्योतिषीय संयोगों के आधार पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं। यात्री ह्वेन त्सांग ने प्रयागराज के महाकुंभ का वर्णन किया, जो उस समय के धार्मिक आयोजन और सम्राट की दानशीलता को प्रदर्शित करता है। कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय समाज के सामूहिक आस्था, संघर्ष और एकता की अभिव्यक्ति भी है, जो हर बार इस अद्वितीय पर्व के माध्यम से दोबारा जीवित होती है।
महाकुंभ में नागा साधुओं की पेशवाई एक प्रमुख आकर्षण होती है, जो न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि भारतीय वीरता और संघर्ष का प्रतीक है। इन साधुओं ने ऐतिहासिक रूप से सनातन धर्म की रक्षा के लिए कई आक्रमणों का सामना किया, जिनमें 17वीं शताब्दी का अफगान आक्रमण प्रमुख था।
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