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उत्तर प्रदेश

इटावा में मामूली बात पर बतमीज़ लड़की का हाई वोल्टेज ड्रामा, युवक के मोबाइल के किए टुकड़े

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इटावा शहर के बीचो बीच पक्का तालाब पर बाइक स्कूटी में टच होने पर युवती का हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। युवती ने बाइक सवार युवक का मोबाइल छीनकर तोड़ दिया। अब इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है। युवक ने बताया हमने माफी भी मांगी इसके बाद भी युवती ने मेरा फोन तोड़ दिया। सोचिये अगर यही काम लड़के द्वारा किया गया होता, तो शायद एक बड़ा बवाल खड़ा हो गया होता। लड़की ने बतमीज़ी भरे लहज़े मे युवक से बात की और उसका मोबाइल ज़मीन पर पटका। लड़की की बदसलूकी के बावजूद भी लड़का शांत खड़ा रहा।

क्या है वीडियो

इटावा थाना कोतवाली क्षेत्र के पक्के तालाब पर एक युवती ने हाईवोल्टेज ड्रामा किया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया है। जानकारी के मुताबिक युवक मंगल अपनी बाइक से पक्का तालाब की ओर फोन पर बात करते हुए कहीं काम से जा रहा था। तभी सामने से आ रही एक युवती की स्कूटी से युवक की बाइक टच हो गयी। जिसके बाद युवती ने अपनी स्कूटी रोककर युवक का मोबाइल छीना और जमीन पर पटक दिया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर अब जमकर वायरल हो रहा है।

क्या हुआ मामला

पीड़ित युवक ने बताया कि वह टेंट की दुकान पर काम करता है। आज दिन में पक्का तलाब से होकर किसी काम से निकल रहा था। तभी एक स्कूटी सवार युवती से बाइक गलती से टच हो गई थी। जिसके बाद हमने युवती से माफी मांगने के लिए बाइक रोकी। हमने उससे माफी मांगनी चाही लेकिन युवती ने मेरा एंड्रॉयड मोबाइल छीनकर दो बार सड़क पर मार कर तोड़ दिया। बिचारे युवक ने अपनी गलती की माफ़ी मांगनी चाही पर उस लड़की ने उसका इतना बड़ा नुक्सान कर डाला। हालांकि अभी तक युवक ने इस मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं करवाई है। ड्रामा करने वाली युवती का भी अब तक कोई पता नहीं चल सका है।

 

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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