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प्रादेशिक

लव मैरिज के चलते भाई ने बहन को बेरहमी से घसीटा, Viral हुआ Video

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लखनऊ। मध्य प्रदेश के बैतूल से एक हैरान कर देने वाला वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में सरेआम भगवा रंग का गमछा ओढ़े एक शख्स बिना किसी खौफ के एक लड़की को घसीटता हुआ मोटरसाइकिल पर बैठा कर ले गया। लड़की चीखती है, लड़के से उसे जाने देने की गुहार लगाती है, पर लड़का बेरहमी से लड़की को पूरी ताक़त से खींचता रहा। सामने खड़ा लड़की का साथी भी उसे बचाने में बेबस रहा। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है।

30 सेकंड के इस वीडियो के वायरल होते ही घटना की पूरी सच्चाई सामने आ गई। दरअसल वीडियो में नज़र आ रही लड़की ने घर से भाग कर अपने प्रेमी से शादी कर ली थी, जिसकी तस्वीर भी सामने आई है। उसको घसीटने वाला लड़का और कोई नहीं बल्कि उसका भाई है।

जानकारी के मुताबिक प्रेमी जोड़ा शादी के बाद शहर के एक होटल में ठहरा था। भाई को बहन के भागने की खबर मिलते ही उसे गुस्सा आ गया और वो अपने दोस्तों के साथ बहन को घर वापस ले जाने पहुंच गया। लड़की का पति भाई से मिन्नतें करता रहा, लड़की भी कहती रही की वो शादी कर चुकी है, पर भाई ने उनकी एक न सुनी। 10 मिनट की झड़प के बाद आखिरकार भाई अपनी बहन को जबरन बालों से सड़क पर घसीटते हुए घर ले गया। बता दें की ये वीडियो 21 सितम्बर का है। तमाशबीन बानी लोगों की भीड़ में से एक व्यक्ति ने इस घटना का वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था।

वीडियो के वायरल होने से पुलिस सक्रीय हुई, लेकिन अभी तक पुलिस में दोनों पक्षों की ओर से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराइ गई है। पुलिस ने चिंता जताई है की ये मामला ‘ऑनर किलिंग’ तक पहुंच सकता है, इसलिए फिलहाल पुलिस शिकायत आने के इंतज़ार में है। वीडियो में नज़र आ रहे लोगों की तलाश जारी है।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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