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आध्यात्म

4 नवम्बर को मनाया जाएगा दीपावली का त्यौहार, जगमग होगा सारा देश

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देशभर में इस बार 4 नवंबर को दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। हर तरफ दीपावली की खूब रौनक देखने को मिल रही है। ऐसे में पांच दिनों वाले उत्सव में छोटी दिवाली के बाद बड़ी दीपावली आती है। भाई दूज के दिन यह त्योहार समाप्त हो जाता है। ऐसे में छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। दीपोत्‍सव पर्व के दूसरे दिन नरक चौदस मनाई जाती है। इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं। आज के दिन कुछ खास काम करने से व्‍यक्ति नरक में जाने से बच जाता है। नरक चौदस को रूप चौदस भी कहते हैं क्‍योंकि इस दिन महिलाएं उबटन लगाकर नहाती हैं और श्रृंगार करती है।

नरक चुर्दशी भी को भी खास रूप से मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को घऱ में साफ सफाई को खास महत्व दिया जाता है। इस खास रूप से जहां घर की सफाई की जाती है, तो दियों को भी कुछ खास महत्व के अनुसार से जलाया जाता है। आइए जानते हैं कि इस दिन कितने दिये आपको जलाने चाहिए।

छोटी दीवाली पर दिये का महत्व

छोटी दीवाली के दिन घर में मुख्य रूप से पांच दीये जलाने का प्रचलन है। कहते हैं इन पांच दियों में से एक दीया घर के पूजा पाठ वाले स्थान, दूसरा रसोई घर में, तीसरा उस जगह जलाना चाहिए जहां हम पीने का पानी रखते हैं, चौथा दीया पीपल या वट के पेड़ के नीचे और पांचवां दीया घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए। इन पांचों स्थानों पर दिये जाने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।

इसके साथ ही बता दें कि घर के मुख्य द्वार जो दिया जलाएं उसकी चार लंबी बत्तियों होनी चाहिए। इसके अलावा आप 7, 13, 14 या 17 की संख्‍या में दीए जला सकते हैं। इसके साथ ही 14 दिये जलाने का भी इस दिन महत्व माना जाता है। छोटी दीपावली पर अलग अलग स्ठानों पर दिया जलाने का अपना महत्व होता है।

नरक चौदस के दिन दीये जलाने की परंपरा है। मान्‍यता है कि आज के दिन दीये जलाने से जिंदगी की सारी दुख-परेशानियां खत्‍म हो जाती हैं। धर्म और ज्‍योतिष में घर में इन दीपकों को रखने की खास जगहें भी बताई गईं हैं। यदि घर की इन जगहों पर आज के दिन दीपक रखे जाएं तो बहुत लाभ होता है।

आध्यात्म

महाकुंभ 2025 : 7 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम त्रिवेणी में लगाई आस्था की डुबकी

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प्रयागराज। कड़ाके की ठंड के बाद भी श्रद्धालुओं का जोश कम नहीं हो रहा है. मां गंगा, मां यमुना और अदृश्य मां सरस्वती के पवित्र संगम में श्रद्धा से ओत-प्रोत साधु-संतो, श्रद्धालुओं, कल्पवासियों, स्नानार्थियों और गृहस्थों का स्नान नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है. 11 जनवरी से 16 जनवरी के बीच महज 6 दिनों के अंदर अब तक 7 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा ली है. गुरुवार को ही 30 लाख से ज्यादा लोगों ने संगम में पवित्र स्नान कर पुण्य फल की प्राप्ति की. योगी सरकार का अनुमान है कि इस बार महाकुंभ में 45 करोड़ लोगों से ज्यादा लोग आने वाले हैं. महाकुंभ की शुरुआत में ही 7 करोड़ स्नानार्थियों की संख्या इसी ओर इशारा कर रही है.

महाकुंभ में देखने को मिल रही विविध संस्कृतियों की झलक

प्रयागराज में कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं / स्नानार्थियों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है. पूरे देश और दुनिया से पवित्र त्रिवेणी में श्रद्धा और आस्था के साथ डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु प्रतिदिन लाखों की संख्या में प्रयागराज पहुंच रहे हैं. गुरुवार को ही शाम 6 बजे तक प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 लाख से ज्यादा लोगों ने त्रिवेणी संगम में स्नान कर लिया. इसमें 10 लाख कल्पवासियों के साथ-साथ देश विदेश से आए श्रद्धालु एवं साधु-संत शामिल रहे. पूरे महाकुंभ मेला क्षेत्र में भक्तों का तांता लगा रहा. देश के विभिन्न प्रान्तो से आए स्नानार्थियों, श्रद्धालुओं और विश्व के अनेक देशों से आए श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में स्नान किया. पूरे देश की विविध संस्कृतियों की झलक महाकुम्भनगर में देखने को मिल रही है.

11 जनवरी से 16 जनवरी तक बना स्नानार्थियों का रिकॉर्ड

यदि अब तक के कुल स्नानार्थियों की संख्या का विश्लेषण करें तो 11 जनवरी से लेकर 16 जनवरी तक अब तक 7 करोड़ से ज्यादा लोग संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. महाकुंभ से पहले 11 जनवरी को लगभग 45 लाख लोगों ने स्नान किया तो वहीं 12 जनवरी को 65 लाख लोगों के स्नान करने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ. इस तरह महाकुंभ से दो दिन पहले ही एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान का रिकॉर्ड दर्ज कर लिया. वहीं महाकुंभ के पहले दिन पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व पर 1.70 करोड़ लोगों ने स्नान कर रिकॉर्ड बनाया तो अगले दिन 14 जनवरी को मकर संक्रांति अमृत स्नान के अवसर पर 3.50 करोड़ लोगों ने संगम में श्रद्धा के साथ डुबकी लगाई. इस तरह, महाकुंभ के पहले दो दिनों में 5.20 करोड़ से ज्यादा लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई. इसके अलावा, 15 जनवरी को महाकुंभ के तीसरे दिन 40 लाख और 16 जनवरी को शाम 6 बजे तक 30 लाख लोगों ने संगम स्नान किया. इस तरह, स्नानार्थियों की संख्या ने 7 करोड़ की संख्या को पार कर लिया

 

 

 

 

 

 

 

 

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