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बिजनेस

त्योहारों के सीजन में बढ़ सकती है सोने की कीमत, जानें क्या है वजह

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Golden opportunity to invest in gold

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नई दिल्ली। धनतेरस और दिवाली पर सोना खरीदने वालों के लिए बुरी खबर है। इस त्योहारों के सीजन सोने की कीमत में उछाल देखने को मिल सकता है। इसकी बड़ी वजह गोल्ड की सप्लाई है। रॉयटर्स के अनुसार बैंकों के द्वारा भारत को सप्लाई किए जाने वाले गोल्ड में भारी कटौती की गई है। यानी त्योहारों के सीजन में मांग बढ़ने के बावजूद भारत को जरूरत से कम सोना मिल रहा है।

क्यों हुई है ये कटौती?

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत जिस रेट पर सोना खरीद रहा है उसकी तुलना में चीन और तुर्की जैसे देश अधिक कीमत दे रहे हैं। ज्यादा मुनाफा कमाने की वजह से बैंकों ने सोने की सप्लाई को चीन और तुर्की की तरफ घुमा दिया है।

पिछले साल 4 डॉलर आउंस के प्रीमियम पर गोल्ड की खरीदारी भारतीय कंज्यूमर्स ने की थी। जोकि अब घटकर 1 से 2 डॉलर प्रीमियम हो गई है। भारत की तुलना में चीन के टॉप कंज्यूमर्स 20 से 45 डॉलर का प्रीमियम ऑफर कर रहे हैं। वहीं, तुर्की तो 80 डॉलर प्रीमियम ऑफर कर रहा है।

यही वजह है कि जहां भारत के गोल्ड इंपोर्ट में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं, तुर्की का गोल्ड इंपोर्ट 543 प्रतिशत और हांग-कांग के रास्ते चीन पहुंचने वाले सोने में 40 प्रतिशत का इजाफा अगस्त में देखने को मिला है।

गोल्ड रिजर्व भी हुआ कम

जानकारी के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल भारत कंज्यूमर्स के पास 10 प्रतिशत कम सोना है। रॉयटर्स को एक अधिकारी ने बताया,‘साल के इस समय कुछ टन सोना हर साल रहता था। लेकिन इस बार यह किलो में है।’

अगर स्थिति बेहतर नहीं हुई तो सोने की कीमत आसमान छू सकती हैं। दशहरा, धनतेरस और दिवाली के बाद शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा। इस दौरान गोल्ड की मांग भारतीय बाजार में बढ़ जाती है।

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नेशनल

भारतीय चुनाव पर मार्क जुकरबर्ग की टिप्पणी पर मेटा ने मांगी माफी, कहा- अनजाने में गलती हुई

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नई दिल्ली। 2024 के चुनाव को लेकर मार्क जुकरबर्ग की टिप्पणी पर मेटा की भारतीय ईकाई मेटा इंडिया ने माफी मांग ली है। कंपनी ने कहा कि अनजाने में हुई गलती के लिए हम माफी मांगते हैं। मेटा इंडिया में सार्वजनिक नीति के निदेशक के तौर पर काम करने वाले शिवनाथ ठुकराल ने एक्स पर एक पोस्ट में सीईओ की तरफ से माफी मांगी। उन्होंने कहा, ‘मार्क का यह कहना कि 2024 के चुनावों में कई मौजूदा पार्टियां फिर से चुनकर नहीं आईं, कई देशों के लिए सही है, लेकिन भारत के मामले में ऐसा नहीं है। हम इस अनजाने में हुई गलती के लिए माफी चाहते हैं। भारत मेटा के लिए एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण देश बना हुआ है और हम इसके शानदार भविष्य के केंद्र में होने की आशा करते हैं।’

इससे पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रोगन पॉडकास्ट पर जुकरबर्ग द्वारा की गई टिप्पणियों की आलोचना की थी। वैष्णव ने 13 जनवरी को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा था कि मार्क जुकरबर्ग का यह दावा कि 2024 के चुनावों में भारत सहित अधिकांश मौजूदा सरकारें कोविड के बाद हार गई हैं, तथ्यात्मक रूप से गलत है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत ने 2024 के चुनावों को 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं के साथ संचालित किया। भारत के लोगों ने पीएम @narendramodi जी के नेतृत्व में एनडीए में अपने विश्वास की पुष्टि की। मंत्री ने जुकरबर्ग की टिप्पणियों को गलत सूचना बताते हुए खारिज कर दिया था, और यह स्पष्ट किया था कि मेटा को तथ्यों और विश्वसनीयता को बनाए रखना चाहिए।

वैष्णव ने कहा कि 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त भोजन, 2. 2 अरब मुफ्त टीके और कोविड के दौरान दुनिया भर के देशों को सहायता से लेकर भारत को सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ाने तक, पीएम मोदी की निर्णायक तीसरी बार की जीत सुशासन और जनता के भरोसे का प्रमाण है। @मेटा, जुकरबर्ग से खुद गलत सूचना देखना निराशाजनक है। आइए तथ्यों और विश्वसनीयता को बनाए रखें। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के प्रमुख भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मंगलवार को कहा था कि पैनल अपने अध्यक्ष की टिप्पणियों के बाद फर्म को तलब करेगा कि भारत की सत्तारूढ़ व्यवस्था पिछले साल लोकसभा चुनाव हार गई थी।

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