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प्रादेशिक

18+आयु वर्ग में 8 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है: सीएम योगी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को लखीमपुर खीरी दौरे पर पहुंचे। हेलीपैड से मुख्यमंत्री सीधे कोविड केयर सेंटर गए। यहां कोविड वार रूम में नौ मिनट तक समीक्षा की। कोरोना से निपटने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ पूरे देश की जो लड़ाई चल रही है, उसे आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में मजबूती से लड़ा जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी होने के नाते उत्तर प्रदेश के सामने सर्वाधिक चुनौती थी।

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में टेस्टिंग का वृहद अभियान चला है, आज उसी का परिणाम है कि प्रदेश में रिकवरी रेट तेजी से बढ़ा और एक्टिव केस में कमी आई है। उत्तर प्रदेश के बारे में आशंका व्यक्त की जा रही थी कि 25 अप्रैल से 10 मई के बीच में प्रतिदिन 01 लाख पॉजिटिव केस आएंगे और प्रदेश की स्थिति देश में सबसे भयावह रहेगी।

उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक टेस्ट करने वाला राज्य है। प्रदेश में लगभग 4.62 करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं। 1.60 करोड़ वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी हैं। 18 प्लस आयु वर्ग में 8 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

प्रदेश में निगरानी समितियों के माध्यम से स्क्रीनिंग का कार्य चल रहा है। निगरानी समितियां ट्रेसिंग करने के साथ ही मेडिसिन किट का भी वितरण करती हैं। इसके बाद RRT वहां जाकर लक्षणयुक्त और संदिग्ध व्यक्तियों का एंटीजन टेस्ट करती है। लखीमपुर खीरी में इस समय महज 1,400 के आस-पास एक्टिव केस बचे हैं। पॉजिटिविटी रेट 04 प्रतिशत के आस-पास है। कोरोना की रोकथाम हेतु जिला प्रशासन को टेस्ट बढ़ाने के लिए कहा गया है।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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