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उत्तर प्रदेश

प्रभात गुप्ता हत्याकाण्ड का फैसला सुरक्षित, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ हैं अभियुक्त  

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Prabhat Gupta murder case

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लखनऊ। उप्र के लखीमपुर खीरी में छात्र नेता प्रभात गुप्ता की हत्या के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई पूरी कर ली है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया है। प्रभात गुप्ता हत्याकांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ अभियुक्त हैं। इसलिए, इस फैसले पर हर किसी की नजर है।

कोर्ट में प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने 88 पेज की लिखित बहस दाखिल की थी। सुनवाई के बाद जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला ने फैसला रिजर्व कर लिया है। लखीमपुर खीरी में वर्ष 2000 में प्रभात गुप्ता हत्याकांड को अंजाम दिया गया था।

छात्र नेता हत्याकांड केस में हाई कोर्ट में फैसले के बिंदुओं पर पिछले साल से सुनवाई चल रही थी। दिसंबर 2022 में कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण के लिए दोनों पक्षों के वकील तलब किए गए थे। इसके बाद जनवरी के तीसरे हफ्ते में हाई कोर्ट की बेंच में सुनवाई होना तय हुआ।

अब कोर्ट में इस सुनवाई के पूरी होने के बाद फैसले का इंतजार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि कोर्ट का फैसला केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाला साबित हो सकता है।

क्या है पूरा मामला?

घटनाक्रम के अनुसार लखीमपुर खीरी के तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुर गांव में 8 जुलाई 2000 को छात्र नेता प्रभात गुप्ता की हत्या कर दी गई। हत्याकांड को लेकर जमकर बवाल मचा था। इस मामले में प्रभात के पिता संतोष गुप्ता ने अजय मिश्रा ‘टेनी’ को आरोपी बनाया।

अजय मिश्रा ‘टेनी’ समेत शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा को नामजद आरोपी बनाया गया। संतोष गुप्ता की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि प्रभात गुप्ता को दिन-दहाड़े गोली मार दी गई।

पहली गोली ‘टेनी’ ने छात्र नेता की कनपटी पर सटाकर मारी। दूसरी गोली सुभाष मामा ने प्रभात के सीने में मारी। इसके बाद प्रभात की मौके पर ही मौत हो गई। पिता की तहरीर पर केस दर्ज किया गया था।

निचली अदालत के फैसले को दी गई थी चुनौती

प्रभात गुप्ता हत्याकांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ‘टेनी’ को निचली अदालत की ओर से बरी कर दिया गया था। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की गई। मामले में जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रेणु अग्रवाल की खंडपीठ ने 9 नवंबर 2022 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हालांकि,दोनों जस्टिस ने अपने चेंबर में फैसला लिखवाते समय पाया कि कुछ बिंदुओं पर अभी भी स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। इसके बाद पीठ ने मामले पर सुनवाई जारी रखी। दिसंबर और जनवरी में इस पर सुनवाई हुई। प्रभात गुप्ता के वकील की ओर से अपना पक्ष रखा गया। प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता की ओर से 88 पेज की लिखित बहस कोर्ट में दायर की गई।

दरअसल, प्रभात गुप्ता हत्याकांड में अजय मिश्र ‘टेनी’ और अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हुआ था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सबूतों के अभाव में वर्ष 2004 में सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया था। राज्य सरकार ने 2004 में ही निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने भी इसी तरह की एक याचिका दायर की थी। दोनों याचिका को कोर्ट में सुनवाई के बाद मंजूर कर लिया गया था। 18 साल की लंबी सुनवाई के बाद 9 नवंबर 2022 को कोर्ट में सुनवाई पूरी की थी। हालांकि, कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण के बाद अब फाइनली सुनवाई पूरी हो गई है। निचली अदालत के आरोपियों को बरी किए जाने संबंधी आदेश पर हाई कोर्ट क्या फैसला देती है, इस पर हर किसी की नजर होगी।

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उत्तर प्रदेश

जीत की गारंटी बन गए हैं योगी

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लखनऊ | योगी आदित्यनाथ यानी जीत की गारंटी का नाम। विकास, रोजगार, सख्त कानून व्यवस्था, समृद्धि की बदौलत उत्तर प्रदेश के प्रति लोगों के मन में धारणा बदलने वाले योगी आदित्यनाथ की स्वीकार्यता अपने प्रदेश के ‘मन-मन’ के साथ अन्य प्रदेशों के ‘जन-जन’ में बढ़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव, उपचुनाव, विधान परिषद उपचुनाव, नगर निकाय चुनावों में भाजपा व एनडीए को जीत दिलाई तो अन्य राज्यों में भी भाजपा कार्यकर्ता के रूप में खूब पसीना बहाया। लिहाजा पीएम मोदी के नेतृत्व में कई राज्यों में भाजपा सरकार बनी। इसमें योगी आदित्यनाथ ने भी काफी मेहनत की। कुंदरकी व कटेहरी में भी कमल खिलाकर भाजपा ने नेतृत्व को विश्वास दिला दिया कि यूपी को योगी का ही साथ पसंद है, लिहाजा जन-जन ने योगी आदित्यनाथ को जीत की गारंटी मान लिया है।

निकाय चुनाव में भी भाजपा का क्लीन स्वीप, 17 में खिला कमल

योगी की रणनीति व संवाद का ही असर रहा कि इस बार निकाय चुनाव में भी भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। इस बार यूपी की सभी 17 की 17 नगर निगमों में भारतीय जनता पार्टी के महापौर निर्वाचित हुए हैं, जबकि पिछली बार 2017 में यह आंकड़ा 16 में से 14 का था। पिछली बार यूपी में भाजपा के 596 पार्षद जीते थे, जबकि इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 813 हो गया। शहरों में भाजपा की यह जीत योगी के विकास परक नीति पर आमजन की मुहर है। नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर 2017 में भाजपा को 60 सीटों पर जीत मिली थी। 199 सीटों में से यह आंकड़ा इस बार बढ़कर 88 पहुंच गया। पालिका परिषद सदस्यों में पिछली बार भाजपा को 923 सीट मिली थी, 2023 में यह बढ़कर 1353 हो गई। नगर पंचायतों में भी 191 सीटों में अध्यक्ष पद पर भाजपा के प्रतिनिधि काबिज हुए। 2017 में यह आंकड़ा 100 का था। योगी के नेतृत्व में 2023 में 91 सीटें और बढ़कर भाजपा की झोली में आई, वोट प्रतिशत में भी खूब इजाफा हुआ। भाजपा के नगर पंचायत सदस्यों की संख्या भी 664 से बढ़कर 1403 हो गई। वहीं नगर निगम, पंचायत व पालिका में भी सपा की साइकिल पंचर हो गई तो बसपा का हाथी भी गिर गया। निकाय चुनाव में भी सपा-बसपा का ग्राफ जबर्दस्त गिरा।

विधान परिषद चुनावः अखिलेश की कुटिल चाल पर योगी की कुशल रणनीति पड़ी भारी

लक्ष्मण आचार्य के महामहिम राज्यपाल व बनवारी लाल दोहरे के निधन के कारण मई में विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव हुए। 403 में से 396 वोट पड़े थे, जबकि एक अवैध हो गया। सीएम योगी की कुशल रणनीति से अखिलेश की कुटिल चाल यहां भी धरी की धरी रह गई। भाजपा प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह 280 व पद्मसेन चौधरी 279 मत पाकर परिषद पहुंचे, जबकि सपा के रामकरण निर्मल को मज 116 व रामजतन राजभर को 115 वोट से ही संतोष करना पड़ा था। जुलाई में हुए विधान परिषद उपचुनाव में भी सरकार के मुखिया के तौर पर सीएम योगी के नेतृत्व में बहोरन लाल मौर्य निर्विरोध सदन पहुंचे।

अन्य राज्यों में भी पीएम के नेतृत्व में मिली जीत, कार्यकर्ता के रूप में योगी ने बहाया पसीना

पीएम मोदी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में भी महायुति गठबंधन ने फिर से सत्ता हासिल की। पीएम के निर्देशन में योगी आदित्यनाथ ने यहां जनसभा कर 24 प्रत्याशियों के लिए वोट की अपील की। इनमें से 22 पर महायुति गठबंधन ने जीत हासिल की। त्रिपुरा में योगी ने दो दिन में छह रैलियां और रोड शो किया था। इन सबमें कमल खिला और पीएम मोदी के मार्गदर्शन में भाजपा सरकार बनी। मई में ओडिशा में हुए चुनाव में भी योगी आदित्यनाथ का जादू चला। यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी योगी का आह्वान जनता तक पहुंचा। ओडिशा में नवीन पटनायक सरकार गिरी और भाजपा सरकार ने सत्ता संभाली। राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में भी पीएम मोदी के मार्गदर्शन में योगी आदित्यनाथ ने भाजपा कार्यकर्ता के रूप में चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया। इन राज्यों में भी कमल खिला।

विधानसभा चुनाव व उपचुनाव में भी योगी-योगी, रामपुर में कमल को पहली बार मिला ‘आकाश’

विधानसभा चुनाव में योगी के जादू का ही असर है कि दोबारा सत्ता में भाजपा की वापसी हुई। योगी निरंतर सभी जनपदों में संवाद, विकास के बलबूते लोगों से मिलते रहे। इसका परिणाम विधानसभा उपचुनावों में भी दिखा। 2024 में हुए उपचुनाव हों या इसके पहले के उपचुनाव, भाजपा ने जबर्दस्त जीत हासिल की। योगी ने विकास से रामपुर की कमान संभाली तो 10 बार के विधायक आजम खां का किला भी ढह गया। यहां योगी के नेतृत्व में कमल को पहली बार आकाश मिला। यहां सपा के आसिम रजा राजा नहीं बन पाए। इस चुनाव में 21वां अंक भाजपा के लिए लकी साबित हुआ। 21वें राउंड के बाद से ही भाजपा ने यहां बढ़त हासिल की, जो अंतिम तक बरकरार रही।

विधानसभा उपचुनाव में भाजपा व सहयोगी दलों की जीत

गोला गोकर्णनाथ- अमन गिरि
छानबे- रिंकी कोल (अपना दल एस)
रामपुर- आकाश सक्सेना
स्वार टांडा- शफीक अंसारी (अपना दल एस)
ददरौल-अरविंद सिंह
लखनऊ पूर्वी-ओपी श्रीवास्तव
कुंदरकी- रामवीर सिंह
गाजियाबाद- संजीव शर्मा
फूलपुर-दीपक पटेल
मझवा-सुचिस्मिता मौर्य
कटेहरी धर्मराज निषाद
खैर- सुरेंद्र दिलेर
मीरापुर- मिथिलेश पाल (रालोद)

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