प्रादेशिक
यूपी सरकार के निर्देश पर शुरू हुई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया, 30 जून को जारी किए जाएंगे अर्ह अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र
लखनऊ। सरकारी प्राइमरी स्कूलों में रिक्त करीब 6 हजार सहायक अध्यापकों के पदों पर एनआईसी के ऑनलाइन साफ्टवेयर के जरिए शिक्षकों के चयन व जनपद आवंटन सूची जारी कर दी गई है । सोमवार को चयनित शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन व जांच शुरू होगी। प्रदेश सरकारक के निर्देश पर यूपी के परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है। गौरतलब हो कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में सामान्य श्रेणी व अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित पद खाली रह गए थे, जिन पर भर्ती प्रक्रिया की जा रही है।
प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए जनवरी 2019 में सहायक अध्यापक के पद पर परीक्षा का आयोजन किया गया था। 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती की प्रक्रिया के दौरान सामान्य श्रेणी व अनुसूचति जाति के पद खाली रह गए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर 69000 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में रिक्त पदों एवं अनुसूचित जनजाति के पूर्व से रिक्त पदों पर एनआईसी द्वारा 26 जून को प्राप्त आवंटन सूची का प्रकाशन किया गया है । 28 से 29 जून के मध्य अभ्यर्थियों के अभिलेखों की जांच की जाएगी और 30 जून को अर्ह अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र निर्गत किए जाएंगे। अभ्यर्थियों को सत्यापन के दिन अपने सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ सुबह दस बजे निर्धारित काउंसलिंग सेंटर पर लेकर पहुंचना होगा।
69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के दौरान अनुसूचित जनजाति के पद खाली रह गए थे। जानकारों के अनुसार अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों की अनुपलब्धता के कारण इन पदों को नहीं भरा जा सका था । इन पदों को मेरिट लिस्ट में शामिल अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों से भरा जाना है। सरकार परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरा करने के लिए लगातार शिक्षकों की भर्ती कर रही है ताकि छात्रों को बेहतर हासिल हो सकें। अब तक प्रदेश सरकार 1.25 लाख शिक्षक भर्ती कर चुकी है।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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