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योगी सरकार की नई आबकारी नीति घोषित, कई लक्ष्यों को साधने का प्रयास

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Yogi government

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में नई आबकारी नीति (new excise policy) को मंजूरी मिल गई है। इस एक कदम से योगी सरकार ने कई लक्ष्यों को साधने का प्रयास किया है।

इस पॉलिसी के तहत नशीली वस्तुओं के निर्माण, ट्रांसपोर्टेशन, आयात, निर्यात, बिक्री और कब्जे में रखे जाने संबंधी गतिविधियों पर जोर दिया गया है। साथ ही नई पॉलिसी से कंज्यूमर को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण शराब उपलब्ध कराने जैसे बिंदुओं पर भी जोर दिया गया है।

इसके अलावा इसमें प्रदेश को आत्मनिर्भर उत्पादक राज्य बनाने, कृषि उत्पादों को नष्ट होने से बचाने और किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने पर भी ध्यान दिया गया है। पॉलिसी के मुताबिक आबकारी विभाग की भूमिका नियामक एवं विकासकर्ता के रूप में होगी।

गन्ना किसानों को मिलेगा प्रोत्साहन

गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2022 – 23 में प्रदेश में लगभग 29.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने का उत्पादन किया जा रहा है। ऐसे आबकारी विभाग का प्रयास है कि चीनी निर्माण की प्रक्रिया में सह-उत्पाद के रूप में प्राप्त शीरे का सदुपयोग हो।

ताकि इससे उत्पादित अल्कोहल का उपयोग विभिन्न प्रकार के केमिकल्स, एथनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल, सैनिटाइज़र और शराब निर्माण के लिए हो सके। जिसके चलते प्रदेश में इंडस्ट्रलाइजेशन को बढ़ावा मिले और कृषि क्षेत्र और किसानों को भी मुनाफा हो।

नई टेक्नोलॉजी से इंडस्ट्रलाइजेशन को सपोर्ट

वर्ष 2022-23 में गन्ना उत्पादन 29.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अनुमानित है और खड़ी फसल के आधार पर प्रदेश में लगभग 1170.73 लाख टन गन्ने की पेराई का अनुमान है। चीनी मिलों में गन्ने से चीनी, बगास शीरा, प्रेसमड आदि उत्पादित किया जाता है। प्रदेश की चीनी मिलों में सह-उत्पाद के रूप में उत्पादित शीरा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के कारण प्रदेश में अल्कोहल इंडस्ट्री के विकास की प्रबल संभावनाएं हैं।

वर्तमान समय में एथनॉल प्रोडक्शन एक अच्छा विकल्प है। पर्यावरणीय प्रदूषण को नियंत्रित किए जाने के उद्देश्य से भी शीरे की क्षति अथवा इसकी गुणवत्ता में नुकसान को रोकते हुये इसका जल्द उपयोग किया जाना आवश्यक है।

विदेशी मुद्रा की बचत

भारत सरकार की वर्तमान नीति के अनुसार इंधन में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल में 10 प्रतिशत की सीमा तक एथनॉल को मिश्रित किया जाना अनिवार्य है। इससे पेट्रोल के आयात पर होने वाली विदेशी मुद्रा की आंशिक बचत होती है। इस क्रम में वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 96.55 करोड़ बल्क लीटर एथनॉल की निकासी हुई थी।

इसमें से 43.95 करोड़ बल्क लीटर यूपी के आयल डिपोज को सप्लाई की गई तथा 52.60 करोड़ बल्क लीटर का निर्यात अन्य राज्यों को किया गया। वर्तमान वित्तीय वर्ष में नवंबर, 2022 तक कुल 87.57 करोड़ बल्क लीटर एथनॉल की निकासी हुई थी। इसमें से 43.55 करोड़ बल्क लीटर यूपी के आयल डिपोज को आपूर्ति की गई थी। वहीं 44.01 करोड़ बल्क लीटर का निर्यात अन्य राज्यों को किया गया।

केंद्र सरकार के एथनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (ई.बी.पी.) प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए एथनॉल का उत्पादन करने वाली इकाइयों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही पावर अल्कोहल (एथनॉल) की उठान, निकासी की प्रक्रिया को सुगम बनाया गया है। इसके लिए उठान हेतु ऑनलाइन व्यवस्था लागू की गई है।

इंडस्ट्रीज और कंज्यूमर को मिलेगी संतुष्टि

विभाग का प्रयास है कि वैल्यू चेन में प्रत्येक स्तर पर उत्पादकता बढ़े और उपभोक्ताओं को उनकी पसंद के अनुसार शराब आपूर्ति कंपटीटिव मूल्य पर प्राप्त हो। विभाग का उद्देश्य यह भी है कि मदिरापान को जिम्मेदार और सुरक्षित सीमा में रखा जाए।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा

विभाग, वैल्यू चेन में इंडस्ट्राइलाइजेशन को बढ़ावा देने, देशी-विदेशी निवेश को आकर्षित करने, सेवाओं को सुगम बनाने, लाइसेंस के आवंटन में निष्पक्षता और पारदर्शिता रखने के साथ ही मदिरा इंडस्ट्रीज और व्यवसाय से हितबद्ध लाइसेंस होल्डर पर नियंत्रण रखने पर जोर दे रहा है।

इससे एक और जहां प्रक्रियाओं का सरलीकरण होगा, वहीं दूसरी ओर समस्त स्टेक होल्डर्स को प्रत्येक स्तर की जानकारी सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से सुलभ हो सकेगी। इससे ईज ऑफ डुइंग बिजनेस एवं गुड गवर्नेन्स को बढ़ावा मिलेगा।

वर्ष 2022-23 में इसे बढ़ावा दिया गया है तथा ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम का उपयोग कर मंदिरा के ट्रांसमिशन पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है। वर्ष 2023-24 में इसमें और सुधार किया जाना प्रस्तावित है तथा विभाग की संपूर्ण कार्यप्रणाली का कंप्यूटराइजेशन किया जाना है।

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महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात

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महाकुम्भनगर|  महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण महाकुम्भनगर में लगाया गया है। महाकुम्भनगर के एसएसपी ने इसकी निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी है।

हर गतिविधि होगी कैप्चर

महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।

महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन

महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।

एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद

महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

ये है टीथर्ड ड्रोन

महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।

बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम

टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।

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