अन्तर्राष्ट्रीय
ऐसी दीवानगी देखी नहीं: न्यू जर्सी के रेस्तरां ने लॉन्च की ‘मोदी जी थाली’
वाशिंगटन। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) की राजकीय यात्रा से प्रवासी भारतीय खासा उत्साहित हैं। पीएम मोदी को लेकर दीवानगी ऐसी है कि न्यू जर्सी में एक रेस्तरां ने पीएम मोदी के दौरे से पहले उनके नाम पर एक खाने की थाली लॉन्च की है। यह रेस्तरां न्यू जर्सी में स्थित है।
प्रधानमंत्री मोदी जून में राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति और प्रथम महिला 22 जून को राजकीय रात्रिभोज में पीएम मोदी की मेजबानी भी करेंगे।
खास बात यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी दूसरी बार अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करने वाले पहले भारतीय पीएम बनेंगे। पीएम मोदी के न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बहुत बड़े प्रशंसक हैं और वे जहां भी जाते हैं वहां भारतीय प्रवासी खुलकर उनपर प्यार बरसाते हैं।
रेस्टोरेंट के मालिक श्रीपद कुलकर्णी ने एक वीडियो में बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका के आगामी यात्रा को मद्देनजर रखते हुए उनके नाम से एक थाली लॉन्च की गई है, जिसका नाम ‘मोदी जी थाली’ रखा गया है।
लोगों ने लगाए मोदी-मोदी के नारे
भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्यों का कहना है कि वे पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए उत्साहित हैं। एक व्यक्ति ने कहा कि भारत को एक अविकसित देश के रूप में जाना जाता था, लेकिन पिछले 10 वर्षों में जो कुछ भी बदल गया है, पीएम मोदी को बहुत-बहुत धन्यवाद।
वहीं वाशिंगटन में रहने वाले कश्मीरी हिंदू डायस्पोरा के एक सदस्य मोहन ने कहा कि मैं कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के लिए प्रधान मंत्री के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं।
एक महिला ने कहा कि पीएम मोदी अमेरिकी कांग्रेस की एक संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। इससे पता चलता है कि कैसे भू-राजनीति आ गई है और कैसे पीएम मोदी ने पूरे भू-राजनीतिक दुनिया में प्रभाव डाला है।
अमेरिका-भारत संबंध अपने चरम पर
अमेरिकी ओवरसीज फ्रेंड्स के भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय अमेरिकी समुदाय उत्साहित है क्योंकि यह पीएम मोदी की पहली राजकीय यात्रा है। आजादी के बाद अमेरिका-भारत संबंध अपने चरम पर हैं। समुदाय को लगता है कि वे इस कहानी का हिस्सा हैं और उन्हें गर्व है कि यह महत्वपूर्ण अवसर हो रहा है, वह भी तब जब भारत 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी यहां 20 जून की शाम को पहुंच रहे हैं, लेकिन 18 जून को भारतीय अमेरिकी समुदाय 20 शहरों में ‘स्वागत मोदी एकता दिवस’ का आयोजन कर रहा है।
अन्तर्राष्ट्रीय
अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध
नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।
अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान
प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी
अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।
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