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अन्तर्राष्ट्रीय

अब एक रिक्शे में आ जाएगी इमरान खान की पार्टी: मरियम नवाज

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नई दिल्ली। पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पीएमएल-एन) की वरिष्ठ नेता मरियम नवाज ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पर तंज कसा है। मरियम ने कहा कि नौ मई को हुई हिंसा के बाद पाकिस्तान की मुख्य विपक्षी पार्टी से बड़े पैमाने पर दलबदल के बाद अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान की पूरी पार्टी अब एक रिक्शे में समा सकती है। पीएमएल-एन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष मरियम ने पंजाब प्रांत के शुजाबाद में रविवार को एक युवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “आज वह (खान) पार्टी के अध्यक्ष, महासचिव, मुख्य आयोजक और प्रवक्ता खुद हैं और अपनी पार्टी के एकमात्र उम्मीदवार भी।” उन्होंने पाकिस्तान में एक प्रकार के आयातित रिक्शा का जिक्र करते हुए कहा कि नौ मई की हिंसा के मद्देनजर दलबदल के बाद अब पूरी विपक्षी पार्टी “किंगकी रिक्शा” में फिट हो सकती है।

पिछले महीने अर्धसैनिक बल के रेंजरों द्वारा खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान रावलपिंडी में सैन्य मुख्यालय सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी भवनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था या आग लगा दी गई थी। खान को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था। मरियम ने कहा कि खान ने अपने 26 साल के तथाकथित राजनीतिक संघर्ष की बात की है। उन्होंने कहा, “मैं आपको बता दूं उनके 26 साल के लंबे संघर्ष को खत्म होने में केवल 26 मिनट लगे। अब वह जमान पार्क में अकेले बैठेंगे और उन्हें छोड़ने वाले सभी नेता जहां से आए थे, वहीं चले गए।”

तीन बार के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने कहा, “इमरान खान ने (पिछले साल अप्रैल में) संसदीय अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सत्ता से हटाए जाने के बाद पाकिस्तानी सेना को अपनी इच्छा के अनुरूप घुटने टिकवाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी कोशिश विफल रही और अब उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।” उन्होंने कहा कि खान ने नौ मई को पाकिस्तानी सेना के संस्थानों पर हमला कर उसके खिलाफ बगावत की थी। पीएमएल-एन नेता ने कहा, “अव्यवस्था और अराजकता का अध्याय समाप्त हो गया है और अब प्रगति की यात्रा शुरू होगी।” उन्होंने कहा कि खान नौ मई को रक्षा और नागरिक प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हैं, लेकिन अब वह बातचीत और बैठकों के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। पीटीआई के खिलाफ सैन्य समर्थित कार्रवाई के बाद, 100 से अधिक पार्टी नेताओं और पूर्व सांसदों ने अब तक खान के पूर्व सहयोगी जहांगीर खान तरीन के नेतृत्व वाली इस्तेखाम पाकिस्तान पार्टी (आईपीपी) का दामन थाम लिया है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।

अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी

अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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