अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान में पड़े खाने के लाले, आटे की चोरी रोकने के लिए धारा 144 लागू
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में जहां एक तरफ राजनीतिक अस्थिरता का दौर चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान कंगाली के कगार पर पहुंच गया है। हालात ऐसे हैं कि वहां खाने के लिए आटा नहीं मिल रहा है और अब वहां आटे की तस्करी शुरू हो गई है! अब खबर आई है कि आटे की चोरी रोकने के लिए पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत में धारा 144 लागू कर दी गई है। सरकार ने इसके लिए बाकायदा सरकारी आदेश जारी कर जानकारी दी है।
आटे की चोरी रोकने को धारा 144 लागू
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, ब्लूचिस्तान में गेहूं की पैदावार होती है। चूंकि पाकिस्तान में आटे की किल्लत है, ऐसे में ब्लूचिस्तान की सरकार के खाद्य विभाग ने राज्य में पैदा हुए गेहूं या आटे की तस्करी रोकने के लिए पूरे राज्य में धारा 144 लागू करने का आदेश दिया है। सरकार का कहना है कि अगले गेहूं की पैदावार के मौसम तक राज्य में आटे की किल्लत ना हो, इसके लिए सरकार ने यह फैसला किया है।
चीनी-आटे के भाव आसमान छू रहे
पाकिस्तान में हालात इतने खराब हैं कि वहां खाने पीने के आधारभूत सामान की भी भारी किल्लत हो रही है। पाकिस्तान में आटे और चीनी के भाव आसमान छू रहे हैं। बढ़ती महंगाई पाकिस्तान की गरीब जनता के मुंह का निवाला छीन रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्लूचिस्तान में चीनी का भाव 130-200 पाकिस्तानी रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। वहीं 20 किलो आटे की कीमत 2600-4000 रुपए तक पहुंच गई है।
पाकिस्तान में रमजान के महीने से ही आटे की किल्लत बनी हुई है। पाकिस्तान में आटे की मिल्स ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया है, जिसकी वजह से पाकिस्तान में आटे की भारी कमी हो गई है।
अन्तर्राष्ट्रीय
अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध
नई दिल्ली। अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत भारत के तीन शीर्ष परमाणु संस्थानों से बुधवार को प्रतिबंध हटा लिया। इससे अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी साझा करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बाइडन प्रशासन ने कार्यकाल के आखिरी हफ्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भारत यात्रा के एक हफ्ते बाद यह घोषणा की। 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण करने और परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने पर अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया था।
अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं। बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान
प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत यात्रा पर सुलिवन ने प्रतिबंध हटाने की बात कही थी
अपनी भारत यात्रा के दौरान जैक सुलिवन ने कहा था, साझेदारी मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। पूर्व राष्ट्रपति बुश और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 20 साल पहले असैन्य परमाणु सहयोग का दृष्टिकोण रखा था, लेकिन हम अभी भी इसे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं।
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