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अन्तर्राष्ट्रीय

लोगों के विरोध से बैकफुट पर चीन सरकार, लॉकडाउन के नियमों में दी ढील

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relaxed lockdown rules in China

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बीजिंग। चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ लोग गुस्से में हैं। सड़क पर प्रदर्शन हो रहे हैं, जिससे चीन सरकार बैकफुट पर आ गई है। जानकारी के मुताबिक, चीन में अब नागरिकों को क्वारंटीन और लॉकडाउन के नियमों से ढील दी गई है।

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चीन सरकार का कहना है कि अब नागरिकों को उनके घरों पर क्वारंटीन रहने की अनुमति दी गई है। कहा गया है कि जिन लोगों में हल्के या एक भी लक्षण नहीं हैं, वे घर में रह कर अपना इलाज करा सकते हैं। इसके अलावा सार्वजनिक जगहों से पीसीआर टेस्ट की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया गया है। सिर्फ स्कूलों और अस्पतालों में पीसीआर टेस्ट अनिवार्य होगा। चीन के कड़े कोरोना नियमों में ये बदलाव कई शहरों में हुए प्रदर्शन के बाद हुए हैं।

जीरो-कोविड पॉलिसी से खींचे कदम

चीन में कोरोना नियमों में दी गई ढील का साफ मतलब है कि जिनपिंग सरकार अपनी जीरो कोविड पॉलिसी से कदम पीछे खींच रही है। अब यहां के लोगों को वायरस के साथ जीना होगा, जैसा कि दुनिया के अन्य देश कर रहे हैं। चीन में यह कदम तब उठाए जा रहे हैं, जब देश में प्रतिदिन 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।

जीरो कोविड नीति में राहत

चीन सरकार का कहना है कि ज्यादातर संक्रमित अब सरकारी कोविड केंद्रों के बजाए घरों में ही आइसोलेट रह सकेंगे।

हल्के या बिना लक्षण वाले मरीज घर पर रह कर स्वयं के संक्रमित होने की रिपोर्ट कर सकते हैं।

अस्पतालों और स्कूलों को छोड़कर अधिकांश सार्वजनिक स्थानों के लिए पीसीआर टेस्ट की अनिवार्यता समाप्त।

अब लॉकडाउन और सीमित इलाकों में लागू किया जाएगा। जैसे कि कुछ भवन, कुछ इकाइयां, कुछ मंजिलें। पहले पूरे शहर या आसपास के इलाकों में लॉकडाउन किया जाता था।

नई लॉकडाउन गाइडलाइन में कहा गया है कि उच्च जोखिम वाले इलाकों में यह पांच दिन तक कोई नया केस नहीं मिले तो उन्हें खोल दिया जाए।

यदि स्कूल में बड़े पैमाने पर संक्रमित न मिलें तो उन्हें खोल दिया जाए।

भवनों के आपात द्वारों को खोल दिया जाना चाहिए और अस्पतालों में आपात चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराई जाना चाहिए।

कठोर क्वारंटीन नियमों का हो रहा था विरोध

अब तक चीन में कोविड-संक्रमित लोगों और निकट संपर्क वालों को क्वारंटीन कैंप में जाने के लिए मजबूर किया जाता था। चीन की यह नीति कठोर होने के कारण विरोध का कारण बन रही थी, क्योंकि इसके कारण लोगों को घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, इसमें गार्ड एक व्यक्ति को घर से बाहर खींचते नजर आ रहे थे। इस दौरान वह व्यक्ति गार्डों का कड़ा विरोध करता है।

पिछले सप्ताह चीन में कठोर कोविड नीति के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान एपल के संयंत्र में हिंसक झड़प हो गई थी। संयंत्र को बंद करने की नौबत आ गई थी। संक्रमितों को उनका घर व परिवार जबर्दस्ती छोड़कर क्वारंटीन शिविरों में हफ्तों रहने को मजबूर किया जाता है। इस कारण यह नीति काफी अलोकप्रिय हो रही थी।

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अन्तर्राष्ट्रीय

अल-कादिर ट्रस्ट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में इमरान खान को 14 साल की सजा, पत्नी बुशरा को भी 7 साल की जेल

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान की एक अदालत ने अल-कादिर ट्रस्ट के 190 मिलियन पाउंड के जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 14 साल की सजा सुनाई है। इमरान की पत्नी बुशरा को भी 7 साल की सजा सुनाई गई है। फैसला एंटी करप्शन कोर्ट के जज नासिर जावेद राणा ने सुनाया। इसके लिए अदियाला जेल के अंदर ही एक अस्थायी कोर्ट बनाई गई थी। कोर्ट ने इमरान खान पर 10 लाख और उनकी पत्नी बुशरा पर 5 लाख का फाइन भी लगाया।

अदियाला जेल के बाहर कड़ी सुरक्षा के बीच फैसला सुनाया गया, जिसके बाद बुशरा को अदालत कक्ष से गिरफ्तार कर लिया गया। आम चुनावों के तुरंत बाद 27 फरवरी, 2024 को दंपति पर इस मामले में आरोप तय किए गए थे। सुनवाई से पहले अदियाला जेल के बाहर मीडिया से बात करते हुए पीटीआई के चेयरमैन बैरिस्टर गौहर अली खान ने कहा, “आप पिछले दो सालों में हुए अन्याय का अंदाजा लगा सकते हैं। अगर निष्पक्ष फैसला होता है, तो इमरान और बुशरा बरी हो जाएंगे।”

इस मामले में आरोप लगाया गया कि इमरान और बुशरा बीबी ने बहरिया टाउन लिमिटेड से अरबों रुपये और सैकड़ों कनाल की जमीन हासिल की, ताकि पिछली पीटीआई सरकार के दौरान यूनाइटेड किंगडम की तरफ से पहचाने गए और देश को लौटाए गए 50 अरब रुपये को वैध बनाया जा सके। इमरान खान को 2023 से कई आरोपों में जेल में बंद हैं। उनका दावा है कि सभी मामले ‘राजनीति से प्रेरित’ थे।

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