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अन्तर्राष्ट्रीय

US के पास पाकिस्तान के खुफिया मेमो, पश्चिम को खुश करने से बचने की सलाह

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Hina Rabbani Khar PM Shehbaz sharif

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इस्लामाबाद। सोशल मीडिया पर कुछ दिनों पहले लीक हुए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के कई गोपनीय दस्तावेजों में अब पाकिस्तान के एक मंत्री का नाम भी जुड़ गया है। जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने दो नाव में पैर रखकर चलने के लिए अपने देश को आगाह किया था।

उन्होंने कहा था कि उनका देश चीन और अमेरिका के बीच मिडल ग्राउंड नहीं बना रह सकता। अगर पाकिस्तान अमेरिका की तरफ झुकता है तो उसे चीन से मिलने वाले बड़े फायदे को त्यागना होगा।

पश्चिम को खुश करने से बचे पाकिस्तान

रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च में एक इंटरनल मेमो में हिना रब्बानी खार ने यह बातें कहीं। इस मेमो का टाइटल ‘पाकिस्तान के मुश्किल विकल्प’ था। मेमो में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को पश्चिम को खुश करने से बचना चाहिए। अगर पाकिस्तान अमेरिका के साथ साझेदारी बनाए रखता है तो उसे चीन के साथ उसके वास्तविक रणनीतिक साझेदारी को त्यागना होगा। पाकिस्तान अब और मिडल ग्राउंड नहीं बन सकता।

खुफिया मेमो अमेरिका के पास कैसे?

गौरतलब है, पाकिस्तान के बड़े नेताओं के ऑडियो लीक पहले भी हुए हैं, लेकिन हिना रब्बानी खार का खुफिया मेमो कैसे लीक हुआ और यह अमेरिका के पास कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। अब सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर अमेरिका की जड़ें पाकिस्तानी शासन के अंदर कितनी गहरी हैं कि वह देश के अत्यंत गोपनीय और संवेदनशील जानकारियां भी आसानी से पा लेता है।

प्रधानमंत्री की बातें भी सुन सकता है अमेरिका

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने किसी मंत्री की बात का खुलासा किया है। इससे पहले 17 फरवरी के एक अन्य दस्तावेज में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के उस विचार विमर्श का जिक्र गया था, जिसमें वह यूक्रेन संघर्ष पर यूएन में मतदान से जुड़ी बात कर रहे। इसमें वह कहते हैं कि अगर रूस की निंदा प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया तो किस तरह उन्हें पश्चिम से दबाव आएगा।

खुफिया दस्तावेज में कहा गया था कि शहबाज शरीफ के सहयोगी ने सलाह दी कि अगर वह निंदा करते हैं तो यह पाकिस्तान की स्थिति में बदलाव का संकेत देगा। क्योंकि इसी तरह के एक प्रस्ताव में पहले पाकिस्तान ने भाग नहीं लिया था।

सहयोगी ने आगे कहा था कि पाकिस्तान के पास रूस के साथ व्यापार और ऊर्जा सौदे से जुड़ी बातचीत करने की क्षमता है और अगर इसका समर्थन किया जाता है तो संबंध खतरे में आ जाएंगे। 23 फरवरी को जब यूएन में इसे लेकर मतदान हुआ तो इसमें हिस्सा न लेने वाले 32 देशों में पाकिस्तान भी था।

अन्य देशों ने नहीं की टिप्पणी

बता दें, लीक हुए दस्तावेजों में नामित पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ-साथ अन्य देशों के अधिकारियों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। यह कहानी ऐसे समय में सामने आई है जब वाशिंगटन पहले ही पुष्टि कर चुका है कि उसे मास्को से तेल आयात करने के पाकिस्तान के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान कहा कि प्रत्येक देश अपनी ऊर्जा आपूर्ति के संबंध में अपने स्वयं के संप्रभु निर्णय लेगा।

अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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